8वां वेतन आयोग: क्या CGHS की जगह नया हेल्थ स्कीम लाएगी सरकार?

नई दिल्ली: इस साल जनवरी में केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य मौजूदा आर्थिक हालातों के आधार पर केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के वेतन और पेंशन में आवश्यक बदलाव सुझाना है।

हालांकि, वेतन आयोग केवल वेतन वृद्धि की सिफारिशों तक सीमित नहीं होता। यह आयोग भत्तों, सुविधाओं और विशेष रूप से स्वास्थ्य सेवाओं की समीक्षा कर सुधारात्मक कदमों की सिफारिश भी करता है।

CGHS क्या है?

Central Government Health Scheme (CGHS) केंद्र सरकार का एक प्रमुख स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम है, जो कर्मचारियों, पेंशनभोगियों और उनके आश्रितों को सस्ती दरों पर परामर्श, इलाज, जांच और दवाइयों जैसी सुविधाएँ प्रदान करता है।

CGHS में बदलाव की चर्चा क्यों?

CGHS की पहुंच अभी भी सीमित है और यह पूरे देश में उपलब्ध नहीं है। इसी वजह से पिछली तीन वेतन आयोगों ने एक नया और व्यापक स्वास्थ्य बीमा योजना लागू करने की सिफारिश की थी, जिससे सभी कर्मचारियों और पेंशनरों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।

क्या कहा था 6वें वेतन आयोग ने?

6वें वेतन आयोग ने एक वैकल्पिक स्वास्थ्य बीमा योजना लाने की सिफारिश की थी, जिसमें कर्मचारी स्वेच्छा से भाग ले सकते हैं और एक तय प्रीमियम का भुगतान करें। साथ ही, इसे भविष्य के नए कर्मचारियों के लिए अनिवार्य करने की भी सलाह दी गई थी।

7वें वेतन आयोग की राय क्या थी?

7वें वेतन आयोग ने स्पष्ट रूप से कहा था कि दीर्घकालिक और व्यापक स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए स्वास्थ्य बीमा ही सबसे उपयुक्त विकल्प है। जब तक नई बीमा योजना लागू न हो, तब तक CGHS की पहुंच से बाहर पेंशनरों के लिए अन्य योजनाओं (जैसे CS(MA) या ECHS) से जुड़े अस्पतालों को पैनल में शामिल करने की सिफारिश की गई थी।

अब आगे क्या?

जनवरी 2025 में ऐसी रिपोर्ट्स सामने आईं कि स्वास्थ्य मंत्रालय CGHS को एक बीमा आधारित योजना से बदलने पर विचार कर रहा है, जिसे Central Government Employees and Pensioners Health Insurance Scheme (CGEPHIS) कहा जा सकता है। इस प्रस्तावित योजना को IRDAI से पंजीकृत बीमा कंपनियों के माध्यम से लागू किया जा सकता है। हालांकि, इस पर सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

सबकी निगाहें 8वें वेतन आयोग पर

अब जब 8वां वेतन आयोग बन चुका है और जल्द ही अपना कार्य शुरू करेगा, तो सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि क्या यह आयोग इस लंबे समय से लंबित मुद्दे का समाधान निकाल पाएगा या नहीं।