शहाजहांनाबाद इलाके- का प्रतिनिधित्व करने वाली चांदनी चौक लोकसभा सीट से देश का मिजाज पता चलता है। अपने गठन से अभी तक सिर्फ दो बार ही इस सीट पर जीती हुई पार्टी केंद्र में अपनी सरकार नहीं बना सकी है। इस प्रतिष्ठित सीट पर इस बार भी घमासान होगा।
इस सीट पर अब तक 15 चुनाव हुए हैं। इनमे से नौ बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है। वहीं, भाजपा, जनता पार्टी और जनसंघ ने यहां छह बार विजय पाई है। मिश्रित आबादी के चलते यहां के चुनावी समीकरण दिल्ली से अलग हैं। यहां मुस्लिम और वैश्य मतदाता बड़ी संख्या में हैं। अपनी सीट के साथ-साथ यह लोग देश के दूसरे हिस्सों पर भी असर डालते हैं। दिल्ली का अधिकांश कारोबार भी इस इलाके से होता है। इस वजह से बड़ी संख्या में कामगारों को भी यह सीट प्रभावित करती है।
दिग्गज नेताओं को लुभाती है यह सीट : पुरानी दिल्ली की गलियां दिग्गज नेताओं को खूब भाती हैं। जनता पार्टी के कद्दावर नेता रहे सिकंदर बख्त चांदनी चौक से चुनाव लड़े, वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रहे जय प्रकाश अग्रवाल ने इस सीट से तीन बार जीत हासिल की थ। संप्रंग सरकार में हाईप्रोफाइल मंत्री रहे कपिल सिब्बल दो बार यहां से सांसद रहे हैं। भाजपा के केंद्रीय मंत्री विजय गोयल भी दो बार इस सीट पर चुनाव जीत चुके हैं। इस वक्त केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन चांदनी चौक सीट से सांसद हैं। डॉ. हर्षवर्धन ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में ‘आप ‘ उम्मीदवार आशुतोष को हराया था। वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी और तत्कालीन केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल तीसरे स्थान पर रहे थे।
1996 में थे सबसे ज्यादा प्रत्याशी : चांदनी चौक सीट पर वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा 79 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था। उस चुनाव में कांग्रेस के जयप्रकाश अग्रवाल ने जीत हासिल की थी। वहीं, वर्ष 1991 में 42 और वर्ष 2009 में 41 उम्मीदवार मैदान में थे।
दूसरी सबसे पुरानी सीट
चांदनी चौक दिल्ली की दूसरी सबसे पुरानी लोकसभा सीट है। साल 1957 में पहली बार यह अस्तित्व में आई। इससे पहले सिर्फ नई दिल्ली सीट पर 1951 में चुनाव हुआ था। बाद में हुए परिसीमन का असर चांदनी चौक और नई दिल्ली सीट पर नहीं पड़ा है।