रोहतक (रत्न पंवार). परीक्षा के दौरान 42 फीसदी विद्यार्थियों का मानना है कि उनकी नींद पर बड़ा बदलाव पड़ता है। परीक्षा के तनाव के चलते उन्हें नींद नहीं आ पाती। वे सोना चाहते हैं, लेकिन उनके दिमाग में परीक्षा संबंधी सवाल और असफलता व प्रतिस्पर्धा का डर ही घूमता रहता है। इसी तरह 61 फीसदी का मानना है कि उनकी भूख में भी बदलाव हो जाता है। कोई ज्यादा खाने लगता है तो कोई बिल्कुल कम। यह खुलासा भास्कर और एमडीयू के मनोविज्ञान विभाग की ओर से संयुक्त तौर पर करवाए गए सर्वे में हुआ है। सर्वे में 10वीं और 12वीं की परीक्षा देने वाले 500 बच्चों और उनके अभिभावकों को शामिल िकया। इसमें रोहतक, झज्जर और बहादुरगढ़ बच्चों ने हिस्सा लिया, जिनका विश्लेषण एमडीयू मनोविज्ञान विभाग की टीम ने किया।
बच्चों में बढ़ जाता है चिड़चिड़ापन :
90% बच्चों ने परीक्षा के दौरान पेट में गड़बड़ी की शिकायत की। यानी लगातार लंबे समय तक बैठकर पढ़ने के चलते उन्हें खाना न पचने की वजह से यह दिक्कत आई।
81% एकाकीपन की वजह व लगातार पढ़ने से चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है।
78% बच्चे अच्छा रिजल्ट पाने के लिए ज्यादा पूजा-पाठ करना शुरू कर देते हैं।
78% स्टूडेंट ने माना कि मानसिक व शारीरिक तौर पर थकान महसूस कर रहे हैं।
69% परीक्षा में असफल होने का भय बना रहता है।
43% साथियों से अच्छे परिणाम की प्रतिस्पर्धा बढ़ती है।
42% नींद उड़ जाती है।
61% उनकी भूख में भी बदलाव हो जाता है।
71% एकाग्रता कम लगती है।
42% उन्हें चिंता रहती है।
67% भूलने की समस्या का शिकार रहते हैं।
66% में परीक्षा के दौरान गुस्सा बढ़ जाता है।
67% सिर दर्द की शिकायत।
60% बेचैनी का शिकार रहते हैं।
66% उनके अभिभावकों की अवास्तविक उम्मीदों से उन्हें तनाव होता है।
परीक्षा बच्चे की, तनाव अभिभावकों का बढ़ा :
62% अभिभावकों का तनाव भी बच्चे की परीक्षा के दौरान बढ़ जाता है।
40% अभिभावक बच्चों पर एक्स्ट्रा कोचिंग का दबाव डालते हैं।
68% अभिभावक बच्चे के साथियों से उसकी तुलना करते हैं
50% अभिभावक बच्चों के लिए ज्यादा दुआ मांगते हैं।
68% ने बताया कि वे बच्चों को परीक्षा में दूसरे काम करने पर रोक लगा देते हैं।
79% परीक्षा को लेकर अति संरक्षित हो जाते हैं। उनके लिए परीक्षा के बढ़कर इन दिनों कुछ नहीं रहता।
परिणाम की अधिक चिंता करने से गिरती है परफॉरमेंस : प्रो. शर्मा
एमडीयू के मनोविज्ञान विभाग से एचओडी प्रो. नवरत्न शर्मा की अध्यक्षता में तीन प्रोफेसर्स का पैनल तैयार किया गया। इनमें पर्सनेलिटी एंड स्किल डेवलमेंट सेल इंचार्ज प्रो. शालिनी सिंह, साइकोलॉजिकल फ़र्स्ट एड सेल की इंचार्ज प्रो. सर्वदीप कोहली, सेंटर फाॅर पॉजीटिव हेल्थ सेल इंचार्ज प्रो. अरुणिमा गुप्ता शामिल रहीं।
परीक्षा के दौरान स्टूडेंट्स यह करें
- बच्चे टाइम टेबल बनाकर ही पढ़ाई करें और इसमें अपने शौक व खेल को जरूर शामिल करें।
- ज्यादा देर तक बैठकर पढ़ाई न करें।
- खाने से ज्यादा फ्रेश जूस और पेय पदार्थ पर जोर दें।
- धार्मिक बनें, लेकिन कर्म (पढ़ाई) करना न भूलें।
- पूरी नींद व आराम भी जरूर लें।
- तैयारी करें, न कि परिणाम की सोचें।
- सोशल मीडिया से पूरी तरह दूरी बनाएं।
- प्राणायाम करें, शरीर को थकाने वाले व्यायाम न करें
- मेडिटेशन से आंखों व दिमाग को आराम दें
परीक्षा के दौरान अभिभावक यह करें
- दूसरे बच्चों से तुलना न करें और न ही ताने मारें।
- बच्चों पर उम्मीदें न थोपें, दोस्ताना व्यवहार करें।
- बच्चों से संवाद बनाए रखें और अपडेट लेते रहे।
- अंकों को लेकर बच्चों से ज्यादा डिमांड न करें।
- बच्चों को खेलने का समय दें और समय तय करें।
- पढ़ाई के समय टीवी या मनोरंजन से दूरी बनाएं।
तीन स्तर पर आती है दिक्कत :
प्रो. नवरत्न शर्मा ने बताया कि यह लक्षण दिखने पर मनोविज्ञानी से मिलें }परीक्षा के दौरान नींद नहीं आना } ब्लैक आउट यानी याद किया हुआ सबकुछ भूल जाना } आत्मविश्वास की कमी से कहना मेरी तो हाथों की ताकत ही चली गई। मुझे आता था, लिख नहीं पाया।
इन लक्षणों पर मैंटर से बात करें: घबराहट, भूख में बदलाव, चिड़चिड़ापन, गुस्सा, पढ़ाई के टाइमटेबल में बहुत ज्यादा व बार-बार बदलाव करना।
इन लक्षणों पर डॉक्टर से सलाह लें: लगातार पेट खराब रहना, लगातार सिर में दर्द रहना
पूरी नींद से कंट्रोल रहता है डोपामिन केमिकल :
न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. पवन शर्मा बताते हैं कि तनाव में दिमाग से डोपामिन न्यूरो केमिकल ज्यादा निकलते हैं। वहीं, जब हम खुश रहते हैं तो सिरोटोनिन न्यूरो केमिकल ज्यादा निकलता है। मार्निंग वॉक और 6 से 8 घंटे की पूरी नींद से डोपामिन केमिकल कंट्रोल रहता है।