इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारतीय पुनर्वास परिषद से मान्य बीएचयू वाराणसी द्वारा जारी बीएड विशेष शिक्षा डिग्री धारकों को उप्र टीईटी परीक्षा 2018 में प्राविधिक रूप में शामिल होने की अनुमति देने का निर्देश दिया है। किन्तु कहा है कि परीक्षा में बैठने मात्र से याचियों को कोई अधिकार नहीं मिल सकेगा।
कोर्ट ने राज्य सरकार व एनसीटीई से 4 हफ्ते में याचिका पर जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल तथा न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय की खंडपीठ ने विजय श्याम पाल व 90 अन्य लोगों की याचिका पर दिया है। इससे पहले कोर्ट ने आशुतोष कुमार सिंह केस में दिए गए अन्तरिम आदेश के आधार पर याचियों को भी समानता के कारण उसका लाभ पाने का हकदार माना है। याचिका में एनसीटीई के 28 जून 2018 की अधिसूचना की वैधता को चुनौती दी गई है।
परीक्षा के दौरान बाथरूम के पास एक से अधिक परीक्षार्थी को इकट्ठा नहीं होने दिया जाएगा। इसके लिए अलग से गार्ड की व्यवस्था की जाएगी। परीक्षार्थी को एक-एक करके वॉशरूम जाने की अनुमति सामान्यत: दी जाएगी। ऐसी स्थिति में एक कक्ष निरीक्षक उसकी निगरानी करता रहेगा ताकि वह किसी प्रकार अनुचित साधन प्रयोग न कर सके या केंद्र परिसर से बाहर न चला जाए।