हिसार। हरियाणा के एक और बाबा को सजा सुनाई गई है। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के बाद अब बरवाला के सतलोक आश्रम के संचालक रामपाल को अदालत ने कड़ी सजा सुनाई है। हिसार की विशेष अदालत ने हत्या के मामले में दोषी करार रामपाल सहित 15 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। हरेक पर अलग-अगल दो लाख और पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। रामपाल सहित 14 दोषियों को हत्या के एक अन्य मामले में 17 अक्टूबर को भी सजा सुनाई जाएगी।
आज रामपाल सहित 15 लोगों को सजा बरवाला के सतलोक आश्रम में 14 नवंबर 2014 को चार महिला व एक बच्चे की हत्या के मामले में सुनाई गई है। कोर्ट ने हत्या के दो मामले में रामपाल सहित 23 लोगों को 11 अक्टूबर को दोषी क़रार दिया था। सजा सुनाने के लिए अदालत में सुनवाई करीब 11 बजे शुरू हुई। सजा सुनाए जाने के समय अदालत में रामपाल और अन्य 14 दाेषियों को भी लाया गया था। आज हत्या के दूसरे मामले में सजा 17 अक्टूबर को सुनाया जाएगा।
सजा पाने वालों में रामपाल का बेटा और भांजा भी शामिल
दोषी करार लाेगों में रामपाल का बेटा बिजेंद्र उर्फ वीरेंद्र व भांजा जोगेंद्र उर्फ बिल्लू भी शामिल है। रामपाल के आश्रम की महिला विंग की प्रमुख रही बबीता, उसकी बहन पूनम, मौसी सावित्री भी इनमें शामिल हैं। सजा सुनाए जाने के मद्देनजर शहर और अासपास के क्षेत्र में कड़ी सुरक्षा है। पुलिस और अर्द्ध सैनिक बलों के जवान सेंट्रल जेल एक और शहर के चप्पे-चप्पे में तैनात हैं।
रामपाल के वकील ने कहा- सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में करेंगे अपील
अदालत ने रामपाल और दाेषियों को भादसं की धारा 302 में उम्रकैद व एक-एक लाख रुपये का जुर्माना, धारा 120 बी के तहत उम्रकैद व एक लाख रुपये जुर्माना, भादसं की धारा 343 में दो साल कैद व पांच हजार रुपये का जुर्माने की सजा सुनाई गई है। कैद की सजाएं साथ–साथ चलेेगी। रामपाल के वकील महेंद्र सिंह नैन ने कहा कि फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे। उन्होंने कहा कि अदालत ने इसे दुर्लभ मामला नहीं माना है।
अदालत ने एक मामले में 15 आराेपितों और दूसरे मामले में 14 लाेगों को दोषी करार दिया। छह आरोपित ऐेसे हैं जिनको दोनों मामलों में दोषी ठहराया गया है। दूसरे मामले में अदालत सजा का एेलान 17 अक्टूबर को करेगी।अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश डीआर चालिया की अदालत आज एफआइआर नंबर 429 में सजा सुनाएगी। एफआइआर नंबर 430 मामले में 17 अक्टूबर को सजा सुनाई जाएगी।
एफआइआर नंबर 429 और 430 में तीन आरोपितों को अभी पकड़ा नहीं जा सका है। इनमें रामपाल की बेटी नीलम, रिश्तेदार राजबाला और संजय फौजी शामिल हैं। सेंट्रल जेल एक में बनाई गई विशेष अदालत में जज डीआर चालिया सजा पर फैसला सुनाएंगे। जेल परिसर के बाहर नाका लगाकर भारी पुलिस बल और आरएएफ के जवानों को तैनात किया गया है।
अदालत ने रामपाल सहित 29 आरोपितों को दोषी करार दिया, दोषी करार लोगों में तीन महिलाएं
अदालत ने 11 अक्टूबर को रामपाल व अन्य आरोपिताें को भादसं की धाराओं 302, 343 अौर 120बी के तहत दोषी ठहराया था। अदालत में एफआइआर नंबर 429 के मामले में रामपाल सहित 15 आरोपितों को दोषी करार दिया था। कोर्ट ने एफआइआर नंबर 430 में 14 आरोपितों को दोषी करार दिया था। सात लाेगों को दोनों मामलों में दोषी करार दिया गया है।
हिसार की विशेष अदालत सजा का ऐलान 16 या 17 अक्टूबर को करेगी
ज्ञात रहे कि 18 नवंबर 2014 को बरवाला के सतलोक आश्रम के आगे रामपाल समर्थकों और पुलिसकर्मियों के बीच टकराव हो गया था। रामपाल ने महिला अनुयायियों और बच्चों को ढाल बनाकर गेट के आगे बैठा दिया था, ताकि पुलिस कार्रवाई न कर सके। आश्रम खाली कराने के दौरान पुलिस को पांच महिलाओं और एक बच्चे का शव मिला था। इस पर बरवाला थाना पुलिस ने 19 नवंबर 2014 को हत्या के दो मुकदमे दर्ज किए थे। अदालत में शिकायतकर्ता गाजियाबाद निवासी सुरेश और दिल्ली के बदरपुर निवासी शिवपाल अपने बयान से मुकर गए थे। उनका कहना था कि छह मौत रामपाल की वजह से नहीं, बल्कि पुलिस के बल प्रयोग के कारण हुई हैं।
एफआइआर नंबर 429
सोनीपत के धनाना निवासी रामपाल, रोहतक के शास्त्री नगर निवासी बेटा बिजेंद्र उर्फ वीरेंद्र, हिसार के उगालन निवासी भानजा जोगेंद्र उर्फ बिल्लू, हिसार की लक्ष्मी विहार कालोनी निवासी बबीता, भिवानी के नाथूवास निवासी बहन पूनम, जींद की इंपलाय कालोनी निवासी मौसी सावित्री, गुरुग्राम के सिकंदरपुर निवासी देवेंद्र, सूरत नगर निवासी अनिल,सिरसा के धिगतानिया निवासी जगदीश, पानीपत के मच्छरौली निवासी कुशल सिंह, भिवानी के इमलौटा निवासी प्रीतम उर्फ राज कपूर, सोनीपत के भड़गांव निवासी राजेंद्र, जींद के कंडेला निवासी सतबीर, अमरहेड़ी निवासी सोनू दास और सिरसा के भेरवाल निवासी सुखबीर।
एफआइआर नंबर 430
इस मामले में रामपाल, उसके बेटे व भानजे के अलावा हिसार की लक्ष्मी विहार कालोनी निवासी बबीता, भिवानी के इमलौटा निवासी प्रीतम उर्फ राज कपूर, सोनीपत के भड़गांव निवासी राजेंद्र, झज्जर के बिरहाना निवासी कृष्ण कुमार, हिमाचल प्रदेश के किन्नौर के रिब्बा निवासी बलवान, तकसाल निवासी पवन, सोलन के डिरग गांव निवासी राजीव शर्मा, राजस्थान के सुमेरपुर उपमंडल के गांव पूमावास निवासी राजेश उर्फ रमेश, ओगना के नरसिंहपुरा निवासी नटवरलाल उर्फ लक्ष्मण, सवाई माधोपुर के सूर्य नगर कालोनी निवासी राजेश और कुरुक्षेत्र के बोराना निवासी रामचंद्र को दोषी करार दिया गया है।
देशद्रोह का मुकदमा बाकी
सतलोक आश्रम संचालक रामपाल पर सबसे बड़ा मुकदमा एफआइआर नंबर 428 में देशद्रोह का है। इसमें रामपाल सहित 930 से ज्यादा आरोपित हैं। इसकी सुनवाई भी सेंट्रल जेल एक में चल रही है। एफआइआर नंबर 443 में भी अभी सुनवाई चल रही है।
अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने से पहले रामपाल के वकील एडवोकेट एपी सिंह ने पुलिस पर खुद को सेंट्रल जेल के अंदर बने विशेष अदालत में जाने से राेकने का आराेप लगाया। एडवोकेट एपी सिंह ने कहा कि उन्हे पुलिस ने जानबूझ कर धरना दिया। इस दौरान उन्होंने जेल अधिकारियों को बुलाने की मांग की। उन्होंने धमकी दी कि यदि जेल के अंदर नहीं जाने दिया गया तो धरना देंगे।
सेंट्रल जेल-1 में बनी विशेष अदालत में एडीजे डीआर चालिया इस मामले में सुनवाई की। कोर्ट के फैसला सुनाए जाने के मद्देनजर हिसार और आसपास के क्षेत्र हाई अलर्ट रही और सुरक्षा के बेहद कड़े प्रबंध किए गए। पूरा हिसार शहर पुलिस छावनी में तब्दील हो गया। यह सुरक्षा व्यवस्था 17 अक्टूबर तक जारी रहेगी। अशांति की आशंका में हिसार में रेल सेवा बंद करने की सिफारिश की गई। बताया जाता है कि हरियाणा पुलिस ने रेल अधिकारियों को इस बारे में लिखा था।
कोर्ट, सेंट्रल जेल, लघु सचिवालय सहित शहर में अब भी भारी पुलिस बल तैनात है। सुरक्षा व्यवस्था में डीआइजी सहित कई जिलों के एसपी, डीएसपी भी लगाए गए। शहर में संवेदनशील जगहों पर अर्द्ध सैनिक बलों के जवान भी तैनात हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल स्वयं इस मामले पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने वीडियो कांफ्रेंस से पूरी जानकारी ली। शहर में पुलिस ने फ्लैग मार्च भी निकाला। पंचकूला मेें डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को फैसला सुनाए जाने के समय हुई चूक से सबक लेकर सरकार और पुलिस सुरक्षा में आगे भी कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती है।
रामपाल पर हुए सात केस दर्ज
रामपाल पर पुलिस ने नवंबर 2014 में सात केस दर्ज किए थे। इसमें देशद्रोह, हत्या, अवैध रूप से सिलेंडर रखने आदि काफी मामले हैं। रामपाल इनमें से दो केसों में बरी हो चुका है। इन दोनों केसों में पुलिस कोई पुख्ता सबूत पेश नहीं कर सकी थी, जिस पर कोर्ट ने भी टिप्पणी की थी। एक मुकदमे से अदालत ने रामपाल का नाम हटा दिया था।
चार साल पहले रामपाल समर्थकों व पुलिस में हुआ था टकराव
मुकदमा नंबर 429
बरवाला के सतलोक आश्रम प्रकरण को लेकर 18 नवंबर 2014 को आश्रम संचालक रामपाल के समर्थकों और पुलिस के बीच टकराव हो गया था। पुलिस और आश्रम के लोगों के बीच चार दिन से गतिरोध बना हुआ था। उस दौरान दिल्ली के बदरपुर की सरिता और पंजाब के संगरूर की मलकीत कौर, राजबाला, संतोष और डेढ साल के आदर्श की मौत हो गई थी। बरवाला थाना पुलिस ने इस संबंध में हत्या का केस दर्ज कर आश्रम प्रमुख रामपाल समेत 15 लोगों को गिरफ्तार किया था।
पुलिस ने रामपाल के अलावा उसके बेटे बिजेंद्र उर्फ वीरेंद्र तथा उगालन के जोगेंद्र, सोनीपत के भटगांव के राजेंद्र, दादरी के गांव इमलोटा के राजकपूर उर्फ प्रीतम, बरवाला की बबीता व पूनम, हिमाचल के सोलन के पवन व राजीव शर्मा, राजस्थान के पाली के राजेश उर्फ रमेश व नटवर उर्फ लक्ष्मण, किन्नौर के बलवान, राजस्थान के सवाई माधोपुर के राजेश, कुरुक्षेत्र के रामचंद्र और जींद की सावित्री को गिरफ्तार किया था। इस केस का ट्रायल 18 मई 2015 को शुरू हुआ था। यह केस धारा 302, 343 व 120 बी के तहत चला।
मुकदमा नंबर 430
सतलोक आश्रम विवाद में यूपी के ललितपुर की रजनी नामक महिला की भी मौत हुई। बरवाला थाना पुलिस ने आश्रम प्रमुख रामपाल समेत 14 आरोपितों को गिरफ्तार किया था। इनमें रामपाल के अलावा सोनीपत के गांव धनाना के बिजेंद्र उर्फ वीरेंद्र, उगालन के जोगेंद्र, भटगांव के राजेंद्र, इमलोटा के राजकपूर उर्फ प्रीतम, बरवाला की बबीता, हिमाचल के बलवान, पवन व राजीव शर्मा, राजस्थान के पाली के नटवर व रमेश, राजस्थान के सवाई माधोपुर के राजेश, कुरुक्षेत्र के रामचंद्र और झज्जर के कृष्ण को गिरफ्तार किया था। इस केस का ट्रायल 4 जून 2015 को शुरू हुआ था। यह केस धारा 302, 343 व 120 बी के तहत चला।
एक मुकदमे में एक और दूसरे मुकदमे में दो दिन चली बहस
जानकारी के अनुसार अदालत में मुकदमा नंबर 429 में 5 और 6 अक्टूबर को बहस हुई थी। इसके अलावा मुकदमा नंबर 430 में 6 अक्टूबर को बहस हुई थी। इन मुकदमों का ट्रायल सेंट्रल जेल वन में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अजय पराशर की अदालत में हुआ, लेकिन मुकदमों का फैसला सुनाने से पहले उनका ट्रांसफर हो गया।
मुकदमा नंबर 429 में हुई 43 की गवाही
एडीजे अजय पराशर के ट्रांसफर के बाद एडीजे डीआर चालिया मुकदमे की सुनवाई कर रहे हैं। अदालत में मुकदमा नंबर 429 में 43 गवाहों ने गवाही दी। इसके अलावा सफाई के 13 गवाहों ने अपनी गवाही दर्ज कराई। इसके अलावा मुकदमा नंबर 430 में 23 गवाहों की गवाही दर्ज हुई। सफाई के 19 गवाहों ने भी अपनी गवाही दर्ज कराई। दोनों मुकदमों का फैसला 11 अक्टूबर को सुनाया जाएगा।