हरियाणा के रोहतक जिले के गढ़ी सांपला में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को सर छोटूराम की 64 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया। इसके साथ ही पीएम मोदी ने पुष्प अर्पित कर किसानों के मसीहा रहबर-ए-आज़म को नमन भी किया। सर छोटू राम की प्रतिमा हरियाणा की सबसे ऊंची मूर्ति है। इसे अष्टधातु से बनाया गया है। इस मूर्ति को राम सुतार ने बनाया है। प्रतिमा का अनावरण करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी सर छोटू राम संग्रहालय का अवलोकन भी किया।
प्रतिमा का अनावरण करने के बाद प्रधानमंत्री दीनबंधु स्मृति रैली को भी संबोधित करेंगे। इसके साथ ही प्रधानमंत्री सोनीपत के बड़ी में प्रस्तावित रेल कोच रिपेयर फैक्ट्री की भी आधारशिला रखेंगे।
प्रधानमंत्री की इस रैली को मिशन-2019 से जोड़ कर देखा जा रहा है। रोहतक कांग्रेस का गढ़ है। दीनबंधु सर छोटू राम की प्रतिमा का अनावरण करने के साथ प्रधानमंत्री हरियाणा से जुड़ी कुछ घोषणाएं कर सकते है। हरियाणा सरकार और सत्तारूढ़ भाजपा ने इस रैली के बड़ी तैयारी की है।
कार्यक्रम में हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य, मुख्यमंत्री मनोहर लाल, केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय इस्पात मंत्री चौ. बीरेंद्र सिंह के साथ हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल भी मौजूद हैं। इसके साथ ही रोहतक से कांग्रेस के सांसद दीपेन्द्र हुड्डा भी कार्यक्रम में पहुंचे हैं। प्रधानमंत्री की रैली में करीब 25-30 हज़ार लोगों के पहुंचने का अनुमान है।
कैसे पड़ा था छोटूराम नाम?
सर छोटूराम के बारे में अन्य राज्यों के लोग भले ही ज्यादा न जानते हों, लेकिन हरियाणा के किसानों के बीच सर छोटूराम एक जाना-पहचाना नाम हैं। वह रोहतक जिले के गढ़ी सांपला गांव के रहने वाले थे। सर छोटू राम का जन्म रोहतक में 24 नवंबर 1881 को हुआ था। सर छोटू राम अविभाजित भारत के नायक थे, उन्होंने किसानों के हित के लिए काफ़ी काम किए। सर छोटू राम का असली नाम राय रिछपाल था। वे अपने भाइयों में सबसे छोटे थे, इसलिए उन्हें छोटू कहते थे। बाद में स्कूल में भी उनका नाम छोटूराम लिख दिया गया। बताया जाता है कि प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान छोटूराम ने 22,144 जाट सैनिक भर्ती करवाए थे।
कौन थे सर छोटूराम?
ब्रिटिश शासनकाल में उन्होंने किसानों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। किसान उन्हें अपना मसीहा मानते थे। वे पंजाब राज्य के एक बहुत आदरणीय मंत्री थे, उन्होंने वहां के विकासमंत्री के तौर पर भी काम किया था। यह पद उन्हें 1937 के प्रोवेंशियल असेंबली चुनावों के बाद मिला था। 1930 में उन्हें दो महत्वपूर्ण कानून पास कराने का श्रेय दिया जाता है। इन कानूनों के चलते किसानों को साहूकारों के शोषण से मुक्ति मिली। ये कानून थे पंजाब रिलीफ इंडेब्टनेस, 1934 और द पंजाब डेब्टर्स प्रोटेक्शन एक्ट, 1936. इन कानूनों में कर्ज का निपटारा किए जाने, उसके ब्याज और किसानों के मूलभूत अधिकारों से जुड़े हुए प्रावधान थे।