ताजनगरी में चूहों का आतंक है। पुराने शहर को खोखला कर चुके इन चूहों से अब लेप्टोस्पायरोसिस नाम की खतरनाक बीमारी फैलने का खतरा है। चूहों के मल-मूत्र से फैलने वाले इस घातक संक्रामक रोग से निपटने के लिए एसएन अस्पताल में कोई इंतजाम नहीं हैं। मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अभिषेक कुमार सिंह ने बताया कि तीन साल पहले लेप्टोस्पायरोसिस के दो केस सामने आए थे। उन्होंने बताया कि ये बीमारी चूहों के पेशाब से फैलती है। पेशाब के कीटाणु हवा में उड़ते हैं। संक्रमित रोगी को तेज बुखार, हाथ-पैर में दर्द होने लगता है। किडनी और लीवर पर असर होता है। पीलिया हो जाता है। इसे व्हील्स डिजीज भी कहते हैं। इसकी तीव्रता बहुत अधिक है।
क्या है लेप्टोस्पायरोसिस
लेप्टोस्पायरोसिस को खेत का बुखार भी कहा जाता है। यह लेप्टोस्पाइरा नामक बैक्टीरिया से फैलता है। खेत में काम करने वाले किसान या जहां चूहों की संख्या अधिक हो, वहां इसके फैलने का खतरा अधिक होता है।
24 घंटे में हो जाती है मौत
लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी में इन्फेक्शन इतनी तेजी से फैलता है कि 24 घंटे में रोगी की मौत हो सकती है। इसी साल बीती जुलाई में मुंबई के एक अस्पताल में लेप्टोस्पायरोसिस से दो दिन में चार लोगों की मौत हो गई थी।
मेडिसिन विभाग समेत कई जगह आतंक
एसएन मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग (घड़ी वाली बिल्डिंग) में चूहों का आतंक है। बिल्डिंग में दिन में भी अंधेरा रहता है। चारों तरफ गंदगी और दुर्गंध है। रातभर मरीजों के बेड के नीचे चूहे धमाल मचाते हैं। बरसात के बाद चूहों की संख्या में वृद्धि हुई है। नई सर्जरी बिल्डिंग में चूहों ने फॉल सीलिंग खोखली कर दी है। मेडिसिन विभाग, नई सर्जरी बिल्डिंग, नेत्र रोग, टीबी एंड चेस्ट और मेटरनिटी वार्ड में चूहों ने मरीजों की नींद हराम कर रखी है। वार्डों में चूहों के मलमूत्र पड़े रहते हैं। इसके अलावा रेलवे प्लेटफार्मों, बस स्टैंडों, खाद्य गोदामों, बाजारों में भी यही हाल है।
एसएन में नहीं सतर्कता
लेप्टोस्पायरोसिस फैलने पर एसएन अस्पताल में इलाज के इंतजाम नहीं हैं। चूहों को लेकर कोई सतर्कता भी नहीं बरती जा रही। विभागाध्यक्ष डॉ. पीके माहेश्वरी ने बताया कि लेप्टोस्पायरोसिस के इलाज के लिए स्पेशल वार्ड नहीं है। चूहों की रोकथाम के लिए सफाई कराते हैं। एक्यूट मेडिसिन वार्ड में ही मरीजों को भर्ती किया जाता है।
कुत्तों-बंदरों के बाद अब चूहे
एसएन अस्पताल सहित पूरे शहर में कुत्ता और बंदरों के बाद अब चूहों का आतंक है। पिछले दिनों गुदड़ी मंसूर खां, टीले वाली गली में चूहों ने जमीन खोखली कर दी। एक मकान ढह गया। पूरे शहर का यही आलम है। जिला प्रशासन ने कभी कोई कार्य योजना नहीं बनाई।
ये हैं लक्षण
– बुखार के साथ हाथ-पैरों में तेज दर्द होना।
– पेट के दायीं ओर ऊपरी हिस्से में तेज दर्द।
– लीवर और किडनी का काम नहीं करना।
– लेप्टोस्पायरोसिस रोगी को पीलिया हो जाता है।
– शरीर में तेजी से खून की कमी होने लगती है।
– शरीर की नसों में जकड़न और दर्द होता है।
ये जांच कराएं
– लेप्टोस्पाइरा एंटीबॉडी खून की जांच कराएं।
– लेप्टास्पाइरा कीटाणु का कल्चर टेस्ट कराएं।
बचाव के उपाय
– जलभराव और कीचड़ में पैर न रखें।
– पैर व जूतों की सफाई अच्छे से करें।
– हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोएं।
– पेडीक्योर कराया है, तो बारिश से बचें।
– चूहा नाशक दवा छिड़काव किया जाए।
– अंधेरे वाले स्थानों पर प्रकाश व्यवस्था करें।
– नियमित सफाई, दुर्गंध न फैलने दी जाए।
– लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें|