मौत के मुंह में धकेल रहा गुटखा व पान मसाला में पाए जाने वाला ‘तेजाब’ गेम्बियर

जमशेदपुर । गुटखा व पान मसाला में मिलाया जाने वाला चाइनीज केमिकल गेम्बियर लोगों को मौत के मुंह में धकेल रहा है। जानकार बताते हैं कि जब से सुप्रीम कोर्ट ने गुटखा व पान मसाले की पैकिंग प्लास्टिक की पाउच में प्रतिबंधित किया था, तब से ही गुटखा-पान मसाला निर्माता कंपनियां बहुत परेशान थीं। कागज की पैकिंग में गुटखा व पान मसाला थोड़े ही समय में लाल हो जाता था और ग्राहक इसे लौटा देते थे।

कंपनियों ने इसकी काट चाइनीज केमिकल गेम्बियर के रूप में खोजी। बिना इसकी परवाह किए कि यह केमिकल बहुत ही खतरनाक है, यह केमिकल मिला देने के बाद गुटखा व पान मसाला लंबे समय तक लाल नहीं होता। ऐसे में ग्राहक इसे खुशी-खुशी इसे खरीदते हैं। इसके सेवन से कैंसर का गंभीर खतरा है। यह केमिकल चमड़ा साफ करने के काम में लाया जाता है।

चार से पांच गुना बढ़ जाता है कैंसर का खतरा
इस केमिकल के गुटखा-पान मसाला में मिलाए जाने से खाने वाले को कैंसर होने का खतरा चार से पांच गुना बढ़ जाता है। जानकार चिकित्सक बताते हैं कि यदि चार ग्राम का गुटखा-पान मसाला का पाउच है तो उसकी सफेदी बरकरार रखने के लिए इसमें लगभग आधा ग्राम गेम्बियर केमिकल मिलाया जाता है। यह केमिकल मिला चार से पांच गुटखा रोज खाने वाला व्यक्ति पांच से छह साल में मुंह के कैंसर की बीमारी का शिकार हो जाता है। गेम्बियर मुंह की मांसपेशियों को गला देता है और लार भी नहीं बनने देता है।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की रिपोर्ट के अनुसार देश में गुटखा-पान मसाला चबाने के कारण हर साल मुंह के कैंसर से दो लाख लोग ग्रस्त हो रहे हैं और इनमें से 1.5 लाख लोगों की मौत हो जा रही है। इनमें से 90 फीसद लोग ऐसे केमिकल युक्त गुटखा-पान मसाला चबाने के कारण कैंसर के शिकार हो रहे हैं।