अलगाववादियों ने कश्मीर में निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव का बहिष्कार करने का एलान किया है। साथ ही आम लोगों से कहा कि वह भी चुनाव में हिस्सा न लें। इसके लिए लोगों के बीच प्रचार भी किया जाएगा।
सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और मोहम्मद यासीन मलिक की अध्यक्षता वाले जेआरएल की सोमवार को हैदरपोरा स्थित गिलानी के आवास पर बैठक हुई। संगठन के बयान में कहा गया है, ‘लीडरशिप भारत सरकार को कश्मीर के लोगों की ओर से जोरदार और स्पष्ट संदेश देने चाहते हैं कि वे चुनावों में किसी तरह की भागीदारी का बहिष्कार करते हैं। इसके बजाय केवल आत्मनिर्भरता का अधिकार मांगते हैं।’
इसमें कहा गया कि नई दिल्ली इतना सोचने योग्य नहीं है कि कश्मीर के लोगों पर किए गए सभी शारीरिक और मनोवैज्ञानिक अत्याचार के बावजूद कोई भी कश्मीरी विकास के लिए धन को स्वीकारेगा। यह चुनाव उनपर थोपे जा रहे हैं और ये चुनाव कुछ भी नहीं बल्कि लोगों पर परेशान करने के लिए एक और हमला है। इसे जम्मू कश्मीर के लोग भी अच्छी तरह जानते हैं।
बताते चलें कि अलगाववादियों ने हमेशा से ही चुनाव का बहिष्कार किया है। चाहे वो विधानसभा चुनाव हो या फिर लोकसभा। पिछले 25 साल से वह चुनाव का बहिष्कार करने का राग अलापते आ रहे हैं। बावजूद इसके 2014 के विधानसभा चुनाव में कश्मीर में 65 फीसदी मतदान हुआ। जबकि वर्ष 2011 में हुए पंचायत चुनाव के दौरान भी रिकार्ड तोड़ मतदान हुआ था।
तब 80 फीसदी कश्मीरी आवाम ने चुनाव में हिस्सा लिया। इससे पहले कश्मीर में 2016 के दौरान पंचायत चुनाव कराने की घोषणा हुई थी लेकिन आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर में हालात खराब हो गए। इसकी वजह से चुनाव टाल दिया गया। अब फिर से कश्मीर में चुनाव है और अलगाववादी माहौल बिगाड़ने की कोशिश में जुटे हैं।