यमुना का जलस्तर घटने से बाढ़ का खतरा तो टला, अब नई मुसीबत के लिए रहें तैयार

नई दिल्ली । राजधानी में यमुना का जलस्तर घटने से बाढ़ का खतरा तो टल गया, लेकिन अब नई मुसीबत खड़ी हो गई है। यमुना का पानी जगह-जगह भरा होने से उमसे मच्छर पनपने का खतरा बढ़ा गया है। ऐसे में अब मच्छर जनित व संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। इन बीमारियों से निपट पाना पूर्वी दिल्ली नगर निगम के साथ ही दिल्ली सरकार के लिए आसान नहीं होगा।

बाढ़ के खतरे को देखते हुए जिला प्रशासन ने यमुना किनारे के इलाकों को खाली करवाया हुआ है। करीब 15 हजार बाढ़ पीड़ित प्रशासन व सामाजिक संस्थाओं की ओर से सड़कों पर लगाए गए राहत शिविरों में रहे रहे हैं। तो कुछ लोगों ने खुद अपने रहने का इंतजाम किया हुआ है। आज नहीं तो कल यह लोग अपने घरों को लौट जाएंगे।

भले ही यमुना का जलस्तर सामान्य हो गया, लेकिन बाढ़ के कारण यमुना खादर के इलाकों में जगह-जगह पानी भरा हुआ है। वह बीमारी के खतरे की घंटी से कुछ कम नहीं है। जल निकासी की व्यवस्था न होने के कारण काफी समय तक खादर इलाकों में पानी भरा रहता है और उसमे मच्छर पनपने लगते हैं। इससे डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया जैसी बीमारी फैलती है। साथ ही बाढ़ प्रभावित इलाकों में पीलिया, टाइफाइड सहित संक्रामक बीमारियों के मरीज बढ़ जाते हैं। मच्छर जनित बीमारियों से खादर के इलाकों में रहने वाले लोगों को तो खतरा है, साथ ही खादर के आसपास रिहायशी इलाकों में भी मच्छरों का प्रकोप देखने को मिलता है।

प्रत्येक वर्ष बाढ़ का खतरा टलने के बाद प्रशासन, निगम और सरकार बाढ़ पीड़ितों को लेकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लेते हैं। यमुना खादर के इलाकों में रहने वाले लोगों ने कहा कि सरकारें और सरकारी विभाग बाढ़ से निपटने की तैयारी तो कर लेते हैं, लेकिन बाढ़ के बाद जो हालात होते हैं उनसे निपटने की कोई तैयारी नहीं करते। बाढ़ के कारण मच्छरों की भरमार हो जाती है। यमुना खादर में रहने वाले लोगों का स्वास्थ्य भगवान भरोसे ही होता है।

स्वास्थ्य विभाग को सतर्कता बरतनी चाहिए

दिलशान गार्डन स्थित एमएस स्वामी दयानंद अस्पताल के डॉ. ग्लेडविन त्यागी के अनुसार बाढ़ के बाद स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है, क्योंकि बाढ़ के बाद मच्छर जनित, संक्रमण सहित अन्य बीमारी फैलने का खतरा बहुत ज्यादा होता है। जहां पर जलभराव हो, वहां पर कीटनाशक का छिड़काव जरूर किया जाना चाहिए। क्योंकि बाढ़ का पानी स्वच्छ होता है और कई दिनों तक एक जगह पानी जमा रहने के कारण उसमें डेंगू मलेरिया के मच्छर पनपने लगते हैं। अगर किसी को संक्रण वाली बीमारी हो गई है और स्वास्थ्य विभाग की जानकारी में मामला आ गया है तो विभाग को उस इलाके में जाकर जांच करनी चाहिए कौन कौन लोग उस संक्रमण की चपेट में है। प्रभावित इलाकों में रहने वाले लोगों को बीमारियों के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए।

कीटनाशक का छिड़काव शुरू

पूर्वी दिल्ली नगर निगम के महापौर बिपिन बिहारी सिंह ने दावा किया कि निगम बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में कीटनाशक दवा का छिड़काव करवा रहा है। बाढ़ के बाद के हालात से निपटने के लिए निगम तैयार है। स्वास्थ्य विभाग की टीम भी मौके पर जाकर लोगों के स्वास्थ्य की जांच करेगी।

बाढ़ के बाद की स्थिति से निपटने को तैयार हैं

उत्तरी पूर्वी जिले के जिलाधिकारी शशि कौशल ने बताया कि जिला प्रशासन, निगम से कहकर राहत शिविरों और जहां पर जलभराव है वहां पर कीटनाशक दवा का छिड़काव करवा रहा है। शिविरों में लोगों की जांच भी की जा रही है। बाद के लिए प्रशासन ने सामाजिक संगठनों से संपर्क किया हुआ है, जो लोगों के स्वास्थ्य की जांच करेंगी। बाढ़ के बाद की स्थिति से निपटने की तैयारी की हुई है।

बाद में कोई देखने नहीं आता है

शास्त्री पार्क निवासी मोहम्मद इलियास के अनुसार बाढ़ के बाद खादर इलाकों में मच्छर बढ़ जाते हैं। उनसे विभिन्न प्रकार की बीमारियां होती हैं। कोई विभाग या नेता बाढ़ के बाद खादर इलाकों में लोगों का हाल चाल जानने नहीं आता। कमला के अनुसार सरकार बाढ़ से तो निपट लेती है, लेकिन उसके बाद की स्थिति से मुंह मोड़कर भाग जाती है। बाढ़ के बाद ही बीमारियां फैलती हैं। खादर के इलाकों में रहने वाले लोगों को किसी तरह की स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं दी जाती।

बाढ़ के बाद बढ़ सकता है इन बीमारियों का खतरा

मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया हैजा, पीलिया, टाइफाइड बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

बीमारियों के लक्ष्णः तेज बुखार, बार बार बुखार का आना, कमर व पेट में दर्द, आंखों में जलन, थकान, उल्टी आदि।