त्रेतायुग -में जन्मे भगवान श्री राम ने 14 वर्षों का वनवास काटा, लेकिन कैसरगंज संसदीय सीट पर भाजपा ने उनसे भी दो बरस अधिक का वनवास भोगा है। फर्क इतना है कि भगवान राम माता कैकेई का मान रखने के लिए वनवास गए तो यहां भाजपा को जनता ने वनवास कराया। आम चुनाव वर्ष 1991 में राम लहर में लगातार दूसरी बार जीत के बाद भाजपा का बेड़ा तब पार लग सका, जब देश भर में 2014 में मोदी लहर चली।
कैसरगंज संसदीय सीट के गठन के बाद चुनाव 15 बार हुए। भाजपा की जीत पहली बार वर्ष 1989 में हुई और रुद्रसेन चौधरी सांसद बने। उन्होंने कांग्रेस के राणावीर सिंह को 3827 वोटों से पराजित किया। दो वर्ष के कार्यकाल के बाद जब पुन: 1991 में राम लहर के दरमियान बीजेपी के सिंबल पर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी चुनाव लड़े तो जनता पार्टी के मौलाना सिराज अहमद को हराकर सांसद बनने में सफल हो गए। तब जीत-हार का अंतर मत बेहद ही खास रहा। फिर ऐसा चक्र घूमा कि भाजपा को भी भगवान राम की तरह 14 के बजाय इस सीट पर 16 वर्षों का बनवास हो गया। भाजपा तब वापस लौटी, जब वर्ष 2014 में मोदी लहर चली और बृजभूषण शरण सिंह सांसद बने। इस बीच समाजवादी पार्टी का ही लगातार कब्जा रहा।
हालांकि रनर की भूमिका चार चुनावों में भाजपा ने ही निभाई। एक बार वर्ष 2009 के लोस चुनाव में बसपा के सुरेंद्रनाथ अवस्थी ने कड़ी टक्कर दी थी। वर्ष 1996 में सपा के टिकट पर बेनी प्रसाद वर्मा ने एंट्री करते ही शानदार जीत हासिल की, जो लगातार 2004 तक बरकरार रखी। खास बात यह रहा कि हर बार प्रतिद्वंद्वी पार्टी तो भाजपा ही रही लेकिन चेहरा बदलता रहा। बेनी प्रसाद ने पहली बार 1996 में लक्ष्मी नारायण मणि त्रिपाठी को, दूसरी बार 1998 में घनश्याम शुक्ला, तीसरी दफा 1999 में सीपी चंद्र सिंह तो चौथी बार 2004 में आरिफ मोहम्मद खान को पराजित किया। वर्ष 2009 के आमचुनाव में इसी सीट से सपा के बैनर तले ही बृजभूषण शरण सिंह ने दांव आजमाया और वह बसपा के सुरेंद्रनाथ अवस्थी को हराकर सांसद बने। 2014 में चली मोदी लहर में बृजभूषण शरण सिंह भाजपा के सिंबल पर चुनावी रणभूमि में उतरे तो भाजपा का फिर बेड़ा पार लग गया।
पहली बार 1989 में भाजपा ने चुनाव जीता
पहली दफा भाजपा ने चुनाव 1989 में जीता। फिर अगला चुनाव 1991 में भाजपा के लिए और अधिक आसान हो गया था। चूंकि पूरे देश में राम लहर चली थी। इसके बाद वर्ष 1996 से लेकर 2009 तक लगातार पांच आम चुनाव हुए लेकिन इस सीट से संसद पहुंचने से भाजपा हर बार दूर ही रही। उसे प्रत्याशी इस दौरान रनर तो बने लेकिन विनर नहीं बन सके।
इस बीच कैसरगंज सीट पर सपा का दबदबा कायम रहा। जिसके सिंबल पर लगातार चार बार बेनी प्रसाद वर्मा तो एक दफा बृजभूषण शरण सिंह सपा से सांसद रह चुके हैं। इस बार फिर बृजभूषण शरण सिंह भाजपा से इस सीट पर उतरे हैं। वहीं सपा बसपा गठबंधन में बसपा को गई इस सीट पर बसपा ने पूर्व मंत्री आजमगढ़ के रहने वाले चंद्रदेव राम यादव को मैदान में उतारा है।