राजस्थान और तेलंगाना में चुनाव प्रचार समाप्त, मतदान 7 दिसंबर को

राजस्थान और तेलंगाना में सात दिसंबर को होने वाले मतदान के लिए जोर शोर से चल रहा चुनाव प्रचार बुधवार शाम समाप्त हो गया। प्रचार के दौरान भाजपा, कांग्रेस, टीआरएस-टीडीपी और एएमआईएमआई के शीर्ष नेताओं के बीच जुबानी जंग से सियासी माहौल गरमाया रहा। नेताओं के निजी हमले करने वाले बयान वीडियो भी देखने को मिले। अब सबकी नजरें दोनों राज्यों में सात दिसंबर को होने वाले मतदान पर टिकी हैं, जब जनता अपना फैसला देगी।

चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जैसे वरिष्ठ राजनीतिक नेताओं ने रैलियों को संबोधित किया और प्रचार में अपनी ताकत झोंक दी। सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए रैलियों को संबोधित किया और रोड शो का आयोजन किया। इन नेताओं में यूपीए अध्यक्ष अध्यक्ष सोनिया गांधी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और अन्य नेता शामिल हैं।

तेलंगाना में संभावित राजनैतिक परिदृश्य के कारण राहुल गांधी और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू ने पहली बार मंच साझा किया। कांग्रेस ने तेलुगु देशम पार्टी, भाकपा और प्रोफेसर एम कोडंडाराम की तेलंगाना जन समिति के साथ गठबंधन कर राज्य में ”जन मोर्चा बनाया है। माकपा की अगुवाई वाली बहुजन वाम मोर्चा भी चुनावी अखाड़े में है। तेलंगाना में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए जहां सोनिया गांधी ने केवल एक रैली को संबोधित किया वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन जनसभाओं में अपनी हुंकार भरी।

सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए राज्य के कार्यवाहक मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने 90 जनसभाओं को संबोधित किया और तेलंगाना राष्ट्र समिति को दूसरी बार मौका देने की जनता से अपील की। नायडू ने भी प्रदेश में चुनावी बैठकों और रोड शो में हिस्सा लिया।

राजस्थान में बागी नेताओं की पार्टियां मुसीबत बनीं

राजस्थान में टिकट न मिलने से निर्दलीय मैदान में ताल ठोक रहे विद्रोहियों से तो भाजपा और कांग्रेस जूझ ही रही हैं, साथ ही बागी हुए दिग्गज नेताओं की छोटी पार्टियों को मिल रहे समर्थन से बड़े दलों की सांसें थमी हैं। जातिगत आधार पर बने ये छोटे दल कांटे के मुकाबले में पासा किसी भी ओर पलटने का माद्दा रखते हैं।