
शहरों में बेकार समझी जाने वाली जमीनें जैसे डंपिंग ग्राउंड, बंजर जमीनें, टूटे भवन, ओवर ब्रिज के नीचे खाली पड़े स्थानों या फिर रेलवे लाइन के किनारे बेकार पड़ी जमीनों का इस्तेमाल पार्किंग, पार्क, वेंडिंग जोन, आंगनबाड़ी केंद्र बनाने के इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
आजादी का अमृत महोत्सव पर न्यू अरबन इंडिया पर इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित स्मार्ट सिटी में कैसे जनता को सुविधाएं दी जाएं विषय पर परिचर्चा में कही। अवेलु राहु संयुक्त सीईओ कोहिमा स्मार्ट सिटी, एन राजकुमार सीईओ कोयम्बटूर स्मार्ट सिटी, भावनेश्वरी एमसी व सीईओ नागपुर स्मार्ट सिटी, नीलाभ सक्सेना सीईओ उदयपुर स्मार्ट सिटी, अतहर अमीर खान सीईओ श्रीनगर स्मार्ट सिटी ने अपने-अपने शहरों में किए गए कामों के अनुभवों को साझा किया।
विशेषज्ञों ने कहा कि वाराणसी, आगरा, अगरतला, आगरा, बंगलुरु, कोयंबटूर, धर्मशाला, गंगटोक, इंफाल, इंदौर, जबलपुर, जम्मू जैसे 35 शहरों में 75 घंटें में बेहतर काम हुआ है। आबादी के बीच जमीन न होने के बाद भी कैसे जमीनों को चिह्नित किया गया और उसका उपयोग जनता की सुविधा के लिए किया गया।
आगरा में हुआ काम
आगरा के भगवान टॉकीज के पास फ्लाईओवर के नीचे स्थान चिह्नित किया गया। बेकार पड़े इस स्थान को स्मार्ट सिटी के तहत विकसित किया गया।
वाराणसी में हुआ काम
वाराणसी में विजय चौक चौराहे को चिह्नित किया गया। इस चौराहे का आधुनिकीकरण किया गया। लोगों के आवागमन की बाधा दूर की गई और इसे स्मार्ट बनाया गया।