अल्ट्रासाउंड के लिए 72 दिन बाद की डेट, ऐसे कैसे होगा मरीजों का सरकारी अस्पतालों में इलाज

उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों में रेडियोलॉजिस्ट की कमी के कारण अल्ट्रासाउंड में बेहद दिक्कत आ रही हैं। राजधानी देहरादून के ही जिला अस्पताल में मरीजों को 72 दिन बाद की पर्ची थमाई जा रही है। रेडियोलॉजिस्ट पर एक से अधिक अस्पतालों का दायित्व सौंपा गया है। कहीं रेडियोलॉजिस्ट के लंबे अवकाश पर होने के कारण अल्ट्रासाउंड बंद पड़े हैं। उत्तरकाशी में एक रेडियोलाजिस्ट के पास पुरोला और नौगांव का भी जिम्मा है, जिससे वहां भी गर्भवती महिलाओं के सामने परेशानी आ रही है।

श्रीनगर

श्रीनगर में मेडिकल कॉलेज के बेस अस्पताल में अल्ट्रासाउंड नहीं हो पा रहे हैं। इससे बेस अस्पताल का भार भी उप जिला अस्पताल श्रीनगर पर पड़ रहा है। यहां भी औसतन 25 अल्ट्रासाउंड प्रतिदिन हो रहे हैं। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डा. सीएमएस रावत ने बताया कि बेस अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट की अभी नई तैनाती हुई है। क्योंकि रेडियोलॉजिस्ट के नाम पर ही अल्ट्रासाउंड के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया होती है। यह प्रक्रिया जारी है।

उत्तरकाशी

जिला मुख्यालय व यमुना घाटी के पुरोला में रेडियोलॉजिस्ट नियुक्त हैं। जिसमें पुरोला में तैनात रेडियोलॉजिस्ट को  सप्ताह में तीन दिन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र नौगांव व तीन दिन पुरोला में अल्ट्रासाउंड करना पड़ता है। इससे गर्भवती महिलाओं एवं मरीजों की परेशानी उठानी पड़ती है।

नैनीताल

जिले में पांच अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड की सुविधा है। जिले में रोजाना करीब 160 लोगों के अल्ट्रासाउंड होते हैं और रोजाना 100 से ज्यादा लोग बिना अल्ट्रासाउंड के वापस लौटते हैं। अल्ट्रासाउंड में करीब 1 दिन की वेटिंग रहती है। जिले में करीब 5 रेडियोलॉजिस्ट तैनात हैं। सुदूरवर्ती क्षेत्रों के लोगों को अल्ट्रासाउंड के लिए 30 से 40 किमी की दौड़ लगानी पड़ती है

पिथौरागढ़

जनपद के एक अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की सुविधा है। तीन से चार दिन का इंतजार करना पड़ता है। जिले में एक रेडियोलॉजिस्ट तैनात हैं। चम्पावत में जिला अस्पताल और लोहाघाट सब जिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की सुविधा है। जिला अस्पताल में हर दिन करीब 30 और लोहाघाट अस्पताल में करीब 60 अल्ट्रासाउंड रोज होते हैं।

अल्मोड़ा

जिले में कुल पांच अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड सुविधा है। जिले में विभिन्न अस्पतालों में औसतन हर रोज कितने 150 अल्ट्रासाउंड होते हैं। जिसमें करीब 15 से 20 लोग वापस जाते है। 20 से 25 तक वेटिंग है। बागेश्वर जिले में तीन अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड की सुविधा है। 50 अल्ट्रासाउंड रोजाना होते हैं  दो से पांच तक लौटते हैं। अल्ट्रासाउंड के लिए 20 की वेटिंग है। जिले में दो रेडियोजलॉजिस्ट तैनात हैं। इनमें एक अवकाश पर हैं।

हरिद्वार

हरिद्वार में महिला अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट का पद स्वीकृत न होने के कारण वहां पर अल्ट्रासाउंड नहीं हो पा रहा है। मेला अस्पताल की रेडियोलॉजिस्ट दो दिन से छुट्टी पर हैं। इसके चलते शुक्रवार को जिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कराने को महिलाओं को 4 से 5 घंटे का इंतजार करना पड़ा। जिला अस्पताल में प्रतिदिन 35 से 40 लोगों का अल्ट्रासाउंड किया जा रहा है। अल्ट्रासाउंड कराने आई अनीता और मोनिका का कहना है कि करीब पांच घंटे बाद नंबर आ रहा है। रुड़की सिविल अस्पताल में तीन दिन हीं अल्ट्रासाउंड होते हैं।

ऊधमसिंहनगर

जिले में खटीमा, बाजपुर, काशीपुर, किच्छा, रुद्रपुर में ही अल्ट्रासाउंड मशीन है। प्रतिदिन 500 लोग अल्ट्रासाउंड के लिए आते हैं। जिले में चार रेडियोलॉजिस्ट हैं। संख्या अधिक होने पर एक से दो दिन की वेटिंग रहती है। यह केस पर डिपेंड करता है।

रेडियोलॉजिस्ट पर दोगुना बोझ

नियमों के तहत एक रेडियोलॉजिस्ट छह घंटे की ड्यूटी में 18 से 24 अल्ट्रासाउंड कर सकता है। लेकिन दून में ही कोरोनेशन, गांधी अस्पताल में एक दिन में 50 और रायपुर, प्रेमनगर अस्पताल में 40 अल्ट्रासाउंड रेडियोलॉजिस्ट एक दिन में करते हैं। जिससे रिपोर्ट की गुणवत्ता पर असर पड़ता है।

अफसर की जिम्मेदारी

कमी के बावजूद विभाग ने कई रेडियोलॉजिस्टों को प्रशासनिक पोस्ट पर तैनात किया है। रेडियोलॉजिस्टों में देहरादून में डॉ मनोज उप्रेती सीएमओ, पौड़ी में डॉ मनोज शर्मा सीएमओ, हरिद्वार में डॉ एसके झा सीएमओ, मसूरी में डा.यतींद्र सिंह सीएमएस,  टिहरी में डॉ संजय जैन सीएमओ, जिला चमोली में डॉ गुमान सिंह सीएमएस बनाए गए हैं।

विशेषज्ञ डॉक्टरों की भर्ती के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। प्रस्ताव भेजा जा चुका है। पिछले कुछ समय में डॉक्टरों की संख्या बढ़ाई भी गई है। इस समस्या का भी जल्द से जल्द समाधान निकाल लिया जाएगा।

धन सिंह रावत, स्वास्थ्य मंत्री