सुपरटेक मामले में फंसे नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी आम्रपाली प्रकरण में भी आरोपी, SIT जांच में बड़ा खुलासा,

नोएडा प्राधिकरण के 24 में से करीब एक दर्जन तत्कालीन आला अधिकारी आम्रपाली मामले में भी आरोपी हैं। इन्हीं अधिकारियों ने सुपरटेक के साथ-साथ आम्रपाली बिल्डर को भी बड़े स्तर पर फायदा पहुंचाया था।

नोएडा प्राधिकरण के अधिकारिक सूत्रों की मानें तो आम्रपाली बिल्डर को फायदा पहुंचाने की जांच शासन के निर्देश पर नोएडा प्राधिकरण ने की थी। इसमें गलत तरीके से जमीन आवंटन करने और बकाया वसूली के लिए गंभीरता से प्रयास नहीं करने का आरोप नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारियों पर है। ये अधिकारी वर्ष 2007 से 2012 के बीच में नोएडा प्राधिकरण में कार्यरत रहे।

इन अधिकारियों ने आम्रपाली समूह की वित्तीय स्थिति देखे बिना ही एक के बाद एक कई भूखंड आवंटित किए। एक ही संपत्ति को बार-बार मॉर्गेज करने की अनुमति दी गई। 30 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत राशि लेकर जमीन आवंटित की।

इन अधिकारियों में तत्कालीन सीईओ, एसीईओ, ओएसडी, वित्त नियंत्रक, एजीएम से लेकर डेस्क ऑफिसर तक शामिल हैं। फिलहाल इनमें से कोई भी आरोपी अधिकारी नोएडा प्राधिकरण में कार्यरत नहीं हैं,

सूत्रों ने बताया कि जो अधिकारी सुपरटेक मामले में दोषी पाए गए हैं, उनमें से करीब एक दर्जन अधिकारी आम्रपाली मामले में भी आरोपी हैं।

पर्चेबल एफएआर में गड़बड़ी से खुला राज

मानचित्रों में बदलाव की मंजूरी के लिए उस समय कमेटी बनी हुई थी, उसी स्तर से निर्णय होते थे, लेकिन बिल्डर को तय आवंटित से अधिक एफएआर बेचने की मंजूरी सीईओ स्तर से ही होती थी। सीईओ-एसीईओ के ही साइन संबंधित फाइल पर होते थे। ऐसे पर्चेबल एफएआर में भी हुई गड़बड़ी को एसआईटी ने अपनी जांच में सही पाया। इसी के जरिए एसआईटी की जांच में बड़े अधिकारी लपेटे में आ गए।

विजिलेंस जांच से दायरा और बढ़ेगा

एसआईटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर विजिलेंस का जांच दायरा बढ़ेगा। दोषी अधिकारियों के जरिए इस कड़ी में शामिल अन्य अधिकारियों तक जांच पहुंचेगी।