
प्राइवेट स्कूलों को शिक्षा का अधिकार कानून(आरटीई)के तहत गरीब छात्रों को फ्री शिक्षा देनी होगी। नई व्यवस्था में ऐसे स्कूलों को आरटीई के तहत दी जाने वाली बच्चों की फीस नहीं दी जाएगी। केंद्र सरकार के निर्देश पर राज्य सरकार ने ऐसे स्कूलों को चिह्नित करना शुरू कर दिया है। अपर माध्यमिक शिक्षा निदेशक एसपी खाली ने बताया कि विद्यालयी शिक्षा परिषद और सभी सीईओ को ऐसे स्कूल चिह्नित करने के निर्देश दे दिए गए हैं। वर्तमान में राज्य के 3437 निजी स्कूलों में आरटीई कोटे के तहत कक्षा एक से आठ तक 92,994 छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं।
केंद्र ने मांगी स्कूलों की रिपोर्ट
आरटीई के तहत प्राइवेट स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक 25 फीसदी सीटें गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित होती हैं। ऐसे बच्चों की पढ़ाई का खर्च सरकार उठाती है। केंद्र सरकार ने पाया है कि कई प्राइवेट स्कूल ऐसे हैं, जिन्होंने स्कूल के लिए सरकारी भूमि ली है और ग्रांट भी ले रहे हैं। भविष्य में ऐसे स्कूल आरटीई वाले बच्चों के एवज में शुल्क नहीं ले सकेंगे। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव मनीष गर्ग ने ऐसे सभी स्कूलों की रिपोर्ट मांगी है।