
राज्यसभा में शुक्रवार तड़के वक्फ (संशोधन) विधेयक पारित कर दिया गया। करीब 14 घंटे चली बहस के बाद इस विधेयक को 128 वोटों के समर्थन और 95 विरोध में मंजूरी मिली। बहस के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक भी देखने को मिली।
इससे पहले, लोकसभा में भी 12 घंटे की बहस के बाद विधेयक को 288-232 के अंतर से पारित किया गया था। अब, दोनों सदनों की मंजूरी के बाद 1995 के वक्फ अधिनियम में संशोधन और 1923 के मुसलमान वक्फ अधिनियम को निरस्त करने का रास्ता साफ हो गया है।
अब क्या होगा अगला कदम?
अब विधेयक को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही यह विधेयक कानून बन जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार को उम्मीद है कि इस विधेयक को अपेक्षाकृत कम समय में मंजूरी मिल सकती है, जबकि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को मंजूरी मिलने में अधिक समय लगा था।
मोदी सरकार के लिए महत्वपूर्ण विधेयक
NDA सरकार इसे मोदी 3.0 के पहले साल की बड़ी उपलब्धियों में से एक के रूप में देख रही है। सरकार की योजना है कि राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही इसे जल्द से जल्द लागू किया जाए।
BJD के रुख ने किया सबको चौंकाया
राज्यसभा में वोटिंग के दौरान एक दिलचस्प मोड़ तब आया, जब बीजू जनता दल (BJD) ने अपने सांसदों को “अंतरात्मा की आवाज़” के आधार पर वोट देने की छूट दे दी। पार्टी ने अपने 7 सांसदों को किसी भी पक्ष का समर्थन करने की स्वतंत्रता दी।
इसका फायदा NDA को मिला, और वह अपेक्षित 123 की बजाय 128 वोट हासिल करने में सफल रहा, जबकि विपक्षी INDIA गठबंधन को 98 की बजाय 95 वोट ही मिले। बिल को पास कराने के लिए कम से कम 119 वोटों की जरूरत थी, लेकिन बीजेपी की मजबूत रणनीति और सहयोगी दलों के समर्थन से यह आसानी से पास हो गया।
कांग्रेस जाएगी सुप्रीम कोर्ट
इस बीच, कांग्रेस ने इस विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की घोषणा की है।
कांग्रेस नेता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट कर लिखा,
“भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जल्द ही वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी।”
अब सबकी निगाहें राष्ट्रपति की मंजूरी और कांग्रेस की कानूनी लड़ाई पर टिकी हैं।