दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे का 756 किमी हिस्सा जनता के लिए खुला – जानिए क्यों है यह परियोजना बेहद अहम

भारत की सबसे महत्वाकांक्षी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में से एक दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे का 756 किलोमीटर लंबा हिस्सा अब आम जनता के लिए खोल दिया गया है। यह 1,156 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे का लगभग 65% हिस्सा है, जो देश की राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी मुंबई के बीच की दूरी को न केवल समय में, बल्कि अवसरों में भी काफी कम कर रहा है।

यात्रा समय में भारी कटौती – 22 घंटे से सीधे 12 घंटे तक

गुड़गांव से वडोदरा तक सड़क मार्ग से यात्रा पहले 20 से 22 घंटे लेती थी। लेकिन अब राजस्थान के कोटा के पास बन रही सुरंग और नए खुले मार्गों के चलते यह सफर घटकर मात्र 10–12 घंटे रह गया है।

यह सुरंग केवल एक छोटा रास्ता नहीं, बल्कि एक रणनीतिक कदम है जो अरावली पर्वतमाला के बीच से गुजरते हुए पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता भी दिखाता है। यह क्षेत्र मुकुंदरा टाइगर रिजर्व के पास है, और इस परियोजना को इस तरह डिजाइन किया गया है कि वन्यजीवों और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र पर न्यूनतम प्रभाव पड़े।

पांच राज्यों को जोड़ता है यह आधुनिक एक्सप्रेसवे

दिल्ली के पास सोहना के नजदीक अलीपुर गांव से शुरू होकर यह एक्सप्रेसवे हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र होते हुए मुंबई तक पहुंचता है। आठ लेन वाला यह हाईवे भविष्य में बारह लेन तक बढ़ाया जा सकेगा, और इसे 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार के लिए डिजाइन किया गया है।

हरियाली और विकास का संतुलन

इस एक्सप्रेसवे की एक विशेषता है इसका पर्यावरण के प्रति सजग दृष्टिकोण। खासकर कोटा के पास वन्यजीव क्षेत्र में बनाई गई सुरंग इस बात का प्रमाण है कि आधुनिक विकास और प्रकृति का संतुलन संभव है। वाहन और वन्यजीव दोनों की सुरक्षित आवाजाही को ध्यान में रखते हुए इस सुरंग का निर्माण किया गया है।

निष्कर्ष: भविष्य की रफ्तार अब सड़कों पर

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे न केवल यात्रा को तेज और सुविधाजनक बनाएगा, बल्कि व्यापार, परिवहन और आर्थिक विकास को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। यह परियोजना भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में एक नया अध्याय लिख रही है – जहां सड़कें सिर्फ मंजिल नहीं, अवसर भी लेकर आती हैं।