सरकार द्वारा दी गये जरुरत मंद बच्चो को स्कॉलरशिप और ६३ प्रतिशत फीस में भी छूट, ६ जिलों के प्रवेश शून्य

आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की बारहवीं तक की पढ़ाई के लिए शुरू की गई राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित परीक्षा, शिक्षा विभाग की उदासीनता के चलते पूरे प्रदेश में फेल होती नजर आ रही है। सरकार की ओर से छात्रवृत्ति के लिए निर्धारित कुल 15143 सीटों के सापेक्ष, केवल 5517 विद्यार्थियों ने ही परीक्षा के लिए आवेदन किया और महज 2171 छात्रों को छात्रवृत्ति का लाभ मिला।

गौरतलब है कि, प्रदेश के सभी सरकारी-स्थानीय निकाय और अशासकीय सहायता प्राप्त (केंद्रीय विद्यालय, आवासीय सैनिक स्कूल, जवाहर नवोदय स्कूल को छोड़कर ) स्कूलों की कक्षा आठ में पढ़ रहे छात्र इस परीक्षा के लिए पात्र हैं, बशर्ते उन्होंने सातवीं कक्षा 55 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण की हो और उनके अभिभावकों की कुल वार्षिक आय 1,50,000 रुपये से ज्यादा न हो। अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्रों को न्यूनतम अंकों में पांच प्रतिशत की छूट है।

गोरखपुर जिले में ही कुल स्वीकृत सीटों की संख्या 309 हैं, मगर वर्ष-2020 की परीक्षा में 263 अभ्यर्थियों ने ही आवेदन फार्म को भरा है। जबकि, इस छात्रवृत्ति से कक्षा आठवीं में पढ़ने वाले छात्र के बारहवीं तक की पढ़ाई के लिए एक हजार रुपये प्रतिमाह की छात्रवृत्ति मिलती है। यानी, चार वर्षों में 48 हजार रुपये बच्चे को आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए मिलते हैं। अगर ये छात्रवृत्ति बच्चों तक पहुंच जाए तो उनकी पढ़ाई का सपना धन के अभाव में नहीं टूटेगा। जागरूकता के अभाव में इस स्कॉलरशिप का लाभ जरूरतमंदों को नहीं मिल रहा है। सरकार की ओर से छात्रवृत्ति के लिए निर्धारित कुल 15143 सीटों के सापेक्ष, केवल 5517 विद्यार्थियों ने ही परीक्षा के लिए आवेदन किया और महज 2171 छात्रों को छात्रवृत्ति का लाभ मिला।