इस दिन मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है। नवमी तिथि को मां के नौ स्वरुपों की प्रतीक नौं कन्याओं का पूजन करते हैं और उन्हें भोजन करवाते हैं। नौं कन्याओं के पूजन के बाद ही व्रत पूर्ण माने जाते हैं। महनवमी के दिन 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं को कन्या खिलाना चाहिए। नौ कन्याओं के साथ एक लांगूर भी बिठाएं जाते है। कन्याओ के साफ़ पानी से पैर धोये और रोली से तिलक करे फिर हलवा, पूरी, चना, खीर ,भोजन करवाएं और अंत में पैर छूकर आशीर्वाद लें। और माता रानी को फिर से पधारने के लिए कहे।