संविधान संशोधन के जरिए किए गए प्रावधान की भी अधिकारियों ने की अनदेखी, ईडब्ल्यूएस आरक्षण के बिना की आंगनवाड़ी में भर्तियां

बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग में 53 हजार रिक्त पदों पर हो रही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भर्ती में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। इसमें सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी को 10 प्रतिशत आरक्षण दिए बगैर ही भर्ती हो रही है जबकि 103वें संविधान संशोधन में सभी श्रेणी की भर्तियों में इस श्रेणी को भी आरक्षण देने का प्रावधान है। प्रदेश सरकार कैबिनेट के  माध्यम से इस प्रावधान को मंजूरी दे चुकी है। इसके बावजूद भर्ती में इस व्यवस्था की अनदेखी की जा रही है।

बता दें कि इस समय प्रदेश के सभी जिलों में 53 हजार रिक्त पदों पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भर्ती की प्रक्रिया चल रही है। इसके लिए बाल विकास विभाग द्वारा जारी आदेश में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ी जाति के लिए आरक्षण का प्रावधान तो किया गया है, लेकिन सामान्य वर्ग के ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं किया गया है।

हैरानी की बात यह है कि बाल विकास विभाग द्वारा भर्ती के लिए जारी शासनादेश और भर्ती के लिए आवेदन पत्र के प्रारूप में भी ईडब्ल्यूएस के आरक्षण देने की व्यवस्था का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। अधिकारियों की इस अनदेखी की वजह से करीब 5300 सामान्य वर्ग के कमजोर वर्ग के अभ्यर्थियों का हक मारा जा रहा है।

अवहेलना पर 3 महीने की सजा का भी है प्रावधान

प्रदेश सरकार द्वारा जारी गजट की अधिसूचना की धारा 5 (1) में यह भी प्रावधान किया गया है कि राज्याधीन किसी भी पद पर की जाने वाली नियुक्ति में यदि ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधान को लागू न करने या रुकावट डालने पर संबंधित नियुक्ति प्राधिकारी या जिम्मेदार को न्यूनतम 3 महीने का कारावास और अर्थदंड या दोनों दिए जाने का प्रावधान है।

मुख्यमंत्री से भर्ती निरस्त करने की मांग

उधर, उप्र महिला आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष गिरीश कुमार पांडेय ने इस संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। जिसमें ईडब्यूएस श्रेणी को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधान को लागू किए गए बगैर हो रही भर्ती को रद्द करने की मांग की है। संघ ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि इस संबंध में जारी  शासनादेश में सपा सरकार द्वारा जारी प्रावधान को लागू कर दिया गया है। यही नहीं आईसीडीएस में चयन समिति बनाने में भी केंद्र के दिशा निर्देश व आदेशों की धज्जियां उड़ाई गई हैं। साथ ही ब्लॉक स्तर की जिम्मेदार चयन समिति के स्थान पर जिला स्तरीय गैर जिम्मेदार चयन समिति बना दी गई है। उन्होंने कहा कि जब अन्य वर्ग को आरक्षण दिया जा रहा है तो आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों का हक क्यों मारा जा रहा है।