दिल्ली सरकार न्यूनतम मजदूरी दिलाने के लिए 10 दिसंबर से विशेष अभियान चलाएगी। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि विभिन्न श्रेणियों में तय न्यूनतम मजदूरी 1 नवंबर से दी जाए। हालांकि, दिल्ली सरकार ने 10 दिसंबर तक सभी संस्थानों को छूट दी है। उसके बाद सरकारी, अर्द्धसरकारी और निजी संस्थान, जिन्होंने अलग-अलग श्रेणी में तय न्यूनतम मजदूरी नहीं दी है, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
दिल्ली सरकार के श्रम मंत्री गोपाल राय ने मंगलवार को बताया कि श्रम विभाग की पांच-पांच सदस्यों वाली 10 टीमें अलग-अलग इलाकों में उतारी जाएंगी। वह निजी-सरकारी संस्थानों के रजिस्टर की जांच करेंगे। श्रम मंत्री खुद औचक निरीक्षण करेंगे।
राय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ी हुई न्यूनतम मजदूरी लागू करने के साथ जरूरी प्रक्रिया पूरी करने के लिए कहा था। उसके मुताबिक नवंबर की तनख्वाह में बढ़ी हुई न्यूनतम मजदूरी लागू होगी। यह सभी तरह के सरकारी और निजी संस्थानों पर लागू होगा।
हालांकि, इसके लिए सभी संस्थानों को 10 दिसंबर तक भुगतान करने की छूट दी गई है। उसके बाद किसी को भी इस बाबत छूट नहीं दी जाएगी। गोपाल राय ने बताया कि 7 दिसंबर को श्रम विभाग 9 जिलों के आधार पर ऐसे सभी संस्थानों-संगठऩों के साथ बैठक कर न्यूनतम मजदूरी दिलाने के लिए जागरूक करेंगे।
न्यूनतम मजदूरी की दरें
- अकुशल श्रमिक : 14,000 रुपये प्रतिमाह
- अर्द्धअकुशल श्रमिक : 15,400 रुपये प्रतिमाह
- कुशल श्रमिक : 16,962 रुपये प्रतिमाह
कोई न सुने तो यहां फोन करें
न्यूनतम मजदूरी नहीं देने पर संस्थानों की शिकायत के लिए श्रम विभाग ने मंगलवार को हेल्पलाइन नंबर 155214 भी जारी किया है। उल्लंघन की अन्य शिकायतें भी यहां कर सकते हैं।
50 हजार जुर्माना और तीन साल की सजा
श्रम मंत्री गोपाल राय ने कहा है कि न्यूनतम मजदूरी नहीं देने वाले नियोक्ताओं के खिलाफ जिला श्रम कार्यालय में केस दर्ज कराया जाएगा। अगर नियोक्ता भुगतान का कोई रिकॉर्ड नहीं देता है तो उसके खिलाफ मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट के न्यायालय में चालान किया जाएगा। गड़बड़ी मिलने पर 50 हजार तक के जुर्माने के साथ तीन साल तक की सजा का प्रावधान है।
आपत्ति और सुझाव 12 तक
श्रम मंत्री ने बताया कि दिल्ली सरकार न्यूनतम मजदूरी तय करने की प्रक्रिया भी साथ-साथ चला रही है। उसके लिए वेज बोर्ड कमेटी ने सिफारिश कर दी है। उस पर संबंधित लोगों से आपत्ति-सुझाव मांगा गया है। 12 जनवरी तक सुझाव व आपत्ति आने के बाद त्रिपक्षीय समिति इस पर अंतिम फैसला लेगी।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
दिल्ली सरकार ने बीते साल मार्च में सभी श्रेणियों में न्यूनतम मजदूरी बढ़ाई थी। मगर, दिल्ली सरकार के इस फैसले के खिलाफ नियोक्ताओं का एक समूह हाईकोर्ट चला गया। इसी वर्ष 4 सितंबर को हाईकोर्ट ने बढ़ाई गई न्यूनतम मजदूरी पर रोक लगा दी। दिल्ली सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई। सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल अक्टूबर में फैसला देते हुए मार्च 2017 में बढ़ाई गई न्यूनतम मजदूरी को दोबारा लागू करने का आदेश दिया। साथ ही दिल्ली सरकार को न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने की प्रक्रिया दोबारा पूरी करने को कहा।