इलाहाबाद में इस बार कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालु शहीद-ए-आजम भगत सिंह की पिस्टल का भी दीदार कर सकेंगे।

लखनऊ। देश की आजादी के संग्राम में शहीद चंद्रशेखर आजाद के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अंग्रेजों से मोर्चा लेने वाले शहीद भगत सिंह की पिस्टल भी अब लोगों को देखने को मिलेगी। उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयास से इलाहाबाद के संग्रहालय में शहीद भगत सिंह की को कुंभ के दौरान रखा जाएगा। इसी संग्रहालय में चंद्रशेखर आजाद की पिस्टल को भी लंबे समय से रखा गया है। रोजाना सैकड़ों लोग इसका दीदार करते हैं।

इलाहाबाद में इस बार कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालु शहीद-ए-आजम भगत सिंह की पिस्टल का भी दीदार कर सकेंगे। श्रद्धालुओं व मेले के दौरान आने वाले पर्यटकों को भगत सिंह की पिस्टल दिखाकर उनमे देशभक्ति की भावना पैदा करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने अपनी तरफ से पहल की है। केंद्र सरकार ने शहीद भगत सिंह की पिस्टल को पंजाब में बीएसएफ के ट्रेनिंग सेंटर से लाकर इलाहाबाद के म्यूजियम में रखे जाने का फैसला किया है।

भगत सिंह की यह पिस्टल देश की आजादी के पहले लाहौर हाईकोर्ट के आदेश पर बीएसएफ के प्रशिक्षण केन्द्र के संग्रहालय में मौजूद है। जिसे इलाहाबाद के राष्ट्रीय संग्रहालय में लाये जाने को लेकर कवायद शुरु कर दी गयी है। अब यह पिस्टल म्यूजियम में स्थाई तौर पर रखी रहेगी। भगत सिंह की ओर से इस्तेमाल की गई 32 बोर की कोल्ट सेमी ऑटोमेटिक पिस्तौल पंजाब के फिल्लौर पुलिस प्रशिक्षण एकेडमी से वर्ष 1968 में इंदौर स्थित बीएसएफ के सेंट्रल स्कूल ऑफ वेपन्स एंड टेक्निक्स के पास भेज दी गई थी।

भगत सिंह ने इसी पिस्टल से अंग्रेज अफसर सांडर्स को गोली मारी थी। भगत सिंह की पिस्टल पिछले काफी समय से पंजाब में बीएसएफ के ट्रेनिंग सेंटर में रखी हुई है। भगत सिंह ने इसी पिस्टल से अंग्रेज अफसर सांडर्स को गोली मारी थी। भगत सिंह की यह पिस्टल 8 अप्रैल 1929 को दिल्ली असेंबली हाल में बम फेंकने के दौरान पकड़े जाने पर बरामद हुई थी। यह पिस्टल अमेरिका में बनी है और 0.32 बोर की है। इस ऑटोमेटिक पिस्टल का बट नंबर 460- एम और बॉडी नंबर- 168896 है।

इलाहाबाद संग्रहालय की आजाद गैलरी में कुर्बानी देने वाले दूसरे क्रांतिकारियों से जुड़े सामानों को भी रखा जाएगा। भगत सिंह की पिस्टल को म्यूजिय़म में तैयार की जा रही नई आजाद गैलरी में रखा जाएगा। गैलरी शहीद चंद्रशेखर आजाद के नाम पर तैयार कराई जा रही है। इस गैलरी में आजाद और भगत सिंह के साथ ही आजादी की लड़ाई में कुर्बानी देने वाले दूसरे क्रांतिकारियों से जुड़े सामानों को रखा जाएगा।

बंदूकों के माहिर रोबर्ट चर्चिल ने लाहौर आकर जज जीसी हिल्टन के सामने इस बात की तस्दीक की थी कि यह भगत सिंह की वही पिस्टल है, जिससे उन्होंने सांडर्स को गोली मारी थी। म्यूजियम के अफसरों की कोशिश है कि भगत सिंह की यह पिस्टल इलाहाबाद म्यूजियम में दिसम्बर महीने तक पहुंच जाए।

इलाहाबाद म्यूजियम में चंद्रशेखर आजाद की पिस्टल भी रखी हुई है। इलाहाबाद म्यूजियम में इससे पहले ही चंद्रशेखर आजाद की वह पिस्टल रखी हुई है, जिससे उन्होंने अंग्रेजों के साथ हुई मुठभेड़ में खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी। इलाहाबाद के लोगों को भी भगत सिंह की पिस्टल का बेसब्री से इंतजार है। संग्रहालय के कार्यकारी निदेशक ओंकार वानखेड़े और आजाद गैलरी के इंचार्ज डा. राजेश मिश्र के मुताबिक कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालु भगत सिंह की इस पिस्टल को देखकर देश के प्रति समर्पित होने के लिए प्रेरित होंगे।
केंद्र सरकार इस बार कुंभ में आने वाले पर्यटकों को पंडित चन्द्रशेखर आजाद के देश की आजादी में दिए गए योगदान से रुबरु कराने के लिए एक अलग वीथिका बनाने की तैयारी कर रही है। इस पिस्टल को 1857 से 1947 तक की जंगे आजादी के नायकों पर आधारित आजाद गैलरी में प्रदर्शित करने की योजना है। कुंभ से पहले आजादी के नायकों पर बनने वाली इस गैलरी पर दस करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है।
चंद्रशेखर आजाद के नाम पर बनने वाली इस आर्ट गैलरी में सरदार भगत सिंह की पिस्तौल प्रदर्शित करने के लिए संग्रहालय प्रशासन ने पहल शुरू कर दी है। संग्रहालय प्रशासन का मानना है कि भगत सिंह की पिस्तौल के बगैर यह अनूठी गैलरी अधूरी रहेगी।

केंद्र सरकार कुंभ में आने वाले पर्यटकों को पंडित चंद्रशेखर आजाद के देश की आजादी में योगदान से रुबरु कराने के लिए एक अलग वीथिका बनाने की तैयारी कर रही है। जिसमें चन्द्रशेखर आजाद के साथ ही उनके समकालीन देश के दूसरे क्रांतिकारियों सुखदेव और राजगुरु से जुड़ी व्यक्तिगत वस्तुओं को भी लोगों के लिए रखे जाने की तैयारी की जा रही है। इससे कुंभ में आने वाले पर्यटकों को देश के इन महान क्रांतिकारियों की वीरगाथा से रुबरु होने का अच्छा अवसर मिलेगा। इसके साथ ही लोगों को अपने देश की आजादी से जुड़ी जानकारियां भी मिलेंगी।

भगत सिंह की पिस्टल से जुड़ी खास बातें

– सरदार भगत सिंह अमेरिका में बनी .32 बोर की कोल्ट सेमी ऑटोमेटिक पिस्तौल का इस्तेमाल करते थे।

– पिस्टल का नंबर 168896 है।

-1931 में लाहौर उच्च न्यायालय ने इस पिस्टल को पंजाब के फिल्लौर पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में रखने का आदेश दिया था।

-13 वर्ष बाद 1944 में भगत सिंह की पिस्टल फिल्लौर पुलिस प्रशिक्षण अकादमी लाई गई।

– यह पिस्टल 1968 में मध्य प्रदेश के इंदौर में बीएसएफ के सेंट्रल स्कूल ऑफ वेपंस एंड टेक्निक्स को लाहौर से भेजे गए आठ हथियारों में शामिल थी।

-दस्तावेजों के आधार पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में दाखिल एक याचिका में इस पिस्टल पर पंजाब का हक जताया गया था। इस याचिका पर सुनवाई के बाद भगत सिंह की पिस्टल फिर पंजाब के हवाले की गई।

-फिलहाल भगत सिंह की पिस्टल पंजाब के हुसैनीवाला बार्डर पर स्थित बीएसएफ के संग्रहालय में रखी गई है।