दिल्ली मेट्रो में सफर के लिए अब टोकन-कार्ड की जरूरत नहीं, फोन से कर पाएंगे पेमेंट

मेट्रो की एयरपोर्ट लाइन पर सफर के लिए इस माह के अंत से टोकन या स्मार्ट कार्ड की जरूरत नहीं पड़ेगी। स्मार्ट मोबाइल फोन से ही किराया चुकाया जा सकेगा। डीएमआरसी एयरपोर्ट मेट्रो लाइन के सभी छह स्टेशनों पर क्यूआर कोड स्कैन करके किराया भुगतान की सुविधा शुरू करने जा रहा है।
डीएमआरसी के मुताबिक, अगस्त के अंत तक यह सुविधा मिलने लगेगी। प्रत्येक स्टेशन पर क्यूआर कोड स्कैन कर प्रवेश के लिए दो एएफसी (ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन) गेट और दो गेट बाहर निकलने के लिए लगाए गए हैं। क्यूआर कोड स्कैन करके किराया भुगतान को लेकर दो महीने से अधिक समय से ट्रायल चल रहा था, जो लगभग पूरा हो चुका है।

एयरपोर्ट लाइन नई दिल्ली मेट्रो स्टेशन से शुरू होकर द्वारका सेक्टर 21 तक जाती है। इस पर कुल छह नई दिल्ली, शिवाजी स्टेडियम, धौला कुआं, दिल्ली ऐरोसिटी, एयरपोर्ट और द्वारका सेक्टर-21 मेट्रो स्टेशन हैं। इसपर रोजाना 50 हजार से अधिक लोग सफर करते हैं। यह अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा को सीधे जोड़ती है। यह पहली लाइन पर है, जहां पूरे सेक्शन पर क्यूआर कोड से किराया भुगतान की सुविधा मिलेगी।

किराए का भुगतान इस तरह कर सकेंगे

क्यूआर कोड स्कैन कर किराया भुगतान के लिए सबसे पहले स्मार्टफोन पर प्ले स्टोर से आरडीएलआर नाम का एप डाउनलोड करना होगा। इसमें डीएमआरसी पर क्लिक करने के बाद क्यूआर टिकट पर क्लिक करना होगा। इसके बाद सभी छह स्टेशन के नाम मोबाइल स्क्रीन पर आ जाएंगे। इससे सफर शुरू करने वाले और गंतव्य स्टेशन का चुनाव हो सकेगा। स्टेशन का चुनाव करने के बाद मोबाइल स्क्रीन पर किराया दिखने लगेगा। इसके बाद पे विकल्प पर क्लिक करके डेबिट या क्रेडिट कार्ड को लिंक कर भुगतान हो सकेगा। कार्ड सेव करने के बाद खाते से किराये का पैसा अपने आप कट जाएगा। इसके बाद एक क्यूआर कोड वाला टिकट जेनरेट हो जाएगा। मोबाइल के स्क्रीन पर उस क्यूआर कोड को नए लगे एएफसी गेट पर प्रवेश व निकास के समय दिखाना होगा।

लालकिला-जामा मस्जिद स्टेशन पर भी है सुविधा 

डीएमआरसी ने क्यूआर कोड से मेट्रो किराया भुगतान की सुविधा हेरिटेज लाइन (कश्मीरी गेट से मंडी हाउस) के बीच पड़ने वाले दो स्टेशनों लाल किला और जामा मस्जिद से शुरू हुई। हालांकि, इन दो स्टेशनों पर यह प्रयोग बहुत सफल नहीं रहा। क्योंकि इसका प्रचार कम हुआ तो लोगों को जानकारी नहीं हुई।  दूसरा दो स्टेशनों के बीच सफर करने वाले बेहद कम यात्री होते हैं।