नई दिल्ली। अपने नए बिजनेस मॉडल के अंतर्गत अब डीएलएफ सिर्फ उन्हीं फ्लैटों की बिक्री करेगी जो पूरी तरह बनकर तैयार होंगे और जिनके लिये कब्जा प्रमाण पत्र भी मिल चुका होगा। डीएलएफ ने यह योजना इसलिए बनाई है ताकि लागत और वितरण समय सीमा के संबंध में किसी भी अनिश्चितता को दूर किया जा सके। यह जानकारी रियल एस्टेट सेक्टर की दिग्गज कंपनी ने दी है।
कंपनी के इस फैसले को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि देशभर में विशेषकर दिल्ली-एनसीआर में रियल एस्टेट क्षेत्र के सामने मकानों का कब्जा देने में देरी एक बड़ी समस्या बनी हुई है, जिससे लोगों को विरोध प्रदर्शन और अदालत का सहारा लेना पड़ता है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि दिल्ली-एनसीआर में लाखों लोगों का घर जेपी समूह, आम्रपाली, यूनिटेक और 3सी कंपनी की परियोजनाओं में अटका पड़ा है।
कंपनी के नए बिजनेस मॉडल को रेखांकित करते हुए डीएलएफ ग्रुप के सीएफओ सौरभ चावला ने बताया कि कंपनी अब से सिर्फ उन्हीं प्रोडक्ट्स की बिक्री करेगी जो कि तैयार हो चुके होंगे। उन्होंने कहा, “‘ग्राहकों को अब रेडी-टू-मूव फ्लैटों की बिक्री ही की जाएगी।”
चावला ने कहा कि इमारतों का निर्माण पूरा होने के बाद डीएलएफ कब्जा प्रमाणन के लिए आवेदन करेगी और उसके बाद ग्राहकों को इसकी बिक्री की जाएगी। उन्होंने कहा कि इसकी वजह से कार्यशील पूंजी की जो लागत बढ़ेगी वह बहुत ही आंशिक होगी।