महागठबंधन भले ही तैयार, कोई विश्वसनीयता नहीं : योगी आदित्यनाथ

मेरठ। प्रदेश भाजपा कार्यसमिति की बैठक के सिलसिले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मेरठ आए थे। सरकार के 16 महीने के कामकाज और मिशन 2019 को लेकर आत्मविश्वास से भरे नजर आए। प्रदेश में भाजपा के खिलाफ चुनावी महागठबंधन को लेकर वे रत्तीभर भी विचलित नहीं हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ ने साफ कहा कि हमारी नीतियां, नेतृत्व और समर्पित कार्यकर्ताओं की विशाल टीम ही हमें जीत दिलाएगी। 15 वर्ष के कुशासन ने सूबे में वर्क कल्चर नष्ट कर दिया। भ्रष्टाचार और माफिया राज ने उत्तर प्रदेश को कहीं का नहीं छोड़ा। भाजपा सरकार राज्य में निवेश को प्रोत्साहित कर रही है ताकि नए रोजगार पैदा हों। हमें विकास की कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति की भी चिंता है और हम उनके लिए विश्वकर्मा सम्मान जैसी कई योजनाएं ला रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की समस्याओं और मांगों को लेकर भी संजीदा दिखे। मेरठ में हाईकोर्ट बेंच, मेरठ-सहारनपुर से हवाई उड़ान, तथा कांवड़ यात्रा जैसे ज्वलंत मुद्दों पर उन्होंने दैनिक जागरण के वरिष्ठ समाचार संपादक मुकेश कुमार से बातचीत की।

भाजपा के खिलाफ महागठबंधन तैयार है। 2019 कैसे जीतेंगे?

चिंता मत कीजिए, हम ही जीतेंगे। महागठबंधन की कोई विश्वसनीयता नहीं है। हमारे पास जनता के लिए कार्यक्रम हैं, नीतियां हैं, नेतृत्व है और सबसे बड़ी बात यह कि समर्पित कार्यकर्ताओं की फौज है। जीतने के लिए और क्या चाहिए। हम तो अपने कार्यकर्ताओं के दम पर हमेशा से जीते हैं। मेरा दावा है कि भाजपा से अधिक समर्पित कार्यकर्ता किसी भी दल में नहीं हैं। सभी अनुशासित होकर अपने काम में लगे रहते हैं।

(हंसते हुए) केजरीवाल ने कभी किसी अच्छे कार्य में सहयोग किया है? वे सहयोग करें या ना करें, यह प्रोजेक्ट पूरा होगा, समय से पूरा होगा। हम रैपिड रेल को मेट्रो प्रोजेक्ट से भी जोड़ रहे हैं। इससे खर्च काफी घटेगा। यह बहुत बड़ा काम है। इन दोनों प्रोजेक्ट के पूरा होने से दिल्ली-मेरठ का सफर काफी आसान हो जाएगा। इसमें समय भी कम लगेगा। इतना ही नहीं, मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे का काम भी तेजी से चल रहा है। आप कल्पना कीजिए, दिल्ली-मेरठ के बीच 12 लेन की सड़क बन जाने पर क्या होगा। पूरे क्षेत्र के विकास को नई गति मिलेगी।

कांवड़ यात्र के कारण हर साल कुछ दिनों के लिए हाईवे बंद करना पड़ता है। औद्योगिक गतिविधियां ठप हो जाती हैं। हम सब आस्था का सम्मान करते हैं। कांवड़ चले पर शहर न रुके..यह हर आम आदमी की गुजारिश है?

पर्व और त्योहार प्रतिबंध से नहीं, विश्वास से चलते हैं। हां, समयानुसार, नियमानुसार कुछ चीजों को नियंत्रित कर सकते हैं। जहां तक हाईवे बंद होने की बात है, इस बार तीन दिन के लिए हुआ। पिछले साल तक सात दिनों के लिए होता था। हमने कांवड़ पटरी मार्ग का चौड़ीकरण कराया है। स्ट्रीट लाइट जैसी अन्य सुविधाओं पर भी हमारा ध्यान है। हम इस रास्ते पर पांच किमी. के अंतराल पर ठहराव का भी समुचित प्रबंध करने जा रहे हैं। इतना ही नहीं, हमने गंगनगर पटरी की दूसरी तरफ भी सड़क बनाने का फैसला किया है। यह सड़क हरिद्वार से शुरू होगी और इसे मुरादनगर से आगे दिल्ली तक ले जाएंगे। यह बन जाने पर हाईवे बंद करने की नौबत नहीं आएगी।

उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य पर प्रशासनिक नियंत्रण रखना कोई आसान काम नहीं है। इसे आसान बनाने के लिए पश्चिमी उप्र को एक प्रशासनिक हब बनाया जा सकता है। मेरठ में एक मिनी सचिवालय दिया जा सकता है?

फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। कलक्ट्रेट और कमिश्नरी हमारे मिनी सचिवालय ही हैं। ये अपना काम ठीक से करें तो कोई समस्या नहीं रहेगी।

कई छोटे शहरों को भी उड़ान योजना में शामिल कर लिया गया, लेकिन मेरठ जैसा बड़ा शहर वंचित रह गया। कोई वजह तो होगी?

– नहीं, ऐसा नहीं है। मेरठ के साथ ही सहारनपुर हमारी प्राथमिकता में हैं। इसका प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास विचाराधीन है। जल्द ही हरी झंडी मिलने की उम्मीद है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाई कोर्ट बेंच की मांग 63 साल से की जा रही है। आंदोलन चल रहा है। भाजपा इस मांग का समर्थन करती रही है। अब तो केंद्र और राज्य, दोनों जगह आपकी सरकार है। क्या आपकी सरकार इसके लिए पहल करेगी?

– लोकतंत्र में किसी भी समस्या का समाधान संवाद से होता है। अधिवक्ता प्रबुद्ध वर्ग के लोग हैं। उनका इस तरह सड़क पर उतरना शोभा नहीं देता। मैं कल उनसे मिलना चाहता था, लेकिन वे तैयार नहीं हुए। अलग खंडपीठ के लिए न्यायपालिका का सहमत होना जरूरी होता है। आजकल तो छोटी बातों को लेकर लोग जनहित याचिका दायर कर रहे हैं और उनकी सुनवाई भी हो रही है।

यूरोपीय देशों में खुले नाले सौ साल पहले ही ढक दिए गए थे। हमारे बड़े शहरों में भी यह काम आज तक नहीं हुआ। मेरठ में आए दिन नाले में गिरकर लोग मर जाते हैं। क्या नालों को ढकने के लिए सरकार के पास कोई योजना है?

-देखिए, स्मार्ट सिटी के अलावा अन्य 60 शहरों के लिए अमृत योजना है। इसके तहत ड्रेनेज, पेयजल आपूर्ति व पार्क-पार्किंग व्यवस्था को बेहतर बनाने के अलावा नालों की ढकने की योजना भी बनाई जा सकती है। अब सरकार के पास पैसे की कमी नहीं है। नगर निगम किसी कंसल्टेंट एजेंसी की मदद से नालों को ढकने का प्रस्ताव बनाकर भेजे तो हमारी सरकार जरूर मंजूरी देगी।

मेरठ जैसे शहर में नाले अटे पड़े हैं। पिछले दिनों एक बारिश में आधा शहर डूब गया था। गंदगी और कूड़ा निस्तारण भी एक बड़ी समस्या है?

– नाले-नालियों को बाधित करने के लिए हम सब जिम्मेदार हैं। हमारे यहां शादियां होती हैं और बाद में सारा कचरा हम नालों में डाल देते हैं। इसलिए तो हमारी सरकार ने पॉलीथिन और प्लास्टिक के कई आइटमों पर प्रतिबंध लगाया है। पर्यावरण ही नहीं, हमारे सेहत के लिए भी खतरनाक हैं। इससे 16 तरह के कैंसर पैदा होते हैं। खैर..। जहां तक डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन की बात है, गाजियाबाद ने कमाल का काम किया है। इस पर जब गाजियाबाद में यह हो सकता है तो मेरठ में क्यों नहीं? योजनाएं हैं, लेकिन अफसरों में विल पावर (इच्छा शक्ति) की कमी है। मुझे बताया गया है कि मेरठ में भी घर-घर से कूड़ा उठाने की योजना शहर के कुछ वार्डों में शुरू की जा रही है। उम्मीद है कि नगर निगम इसे बेहतर ढंग से पूरे शहर में लागू करेगा।

शहरों से लेकर गांवों तक में आवारा कुत्तों, बंदरों, पशुओं की समस्या भयावह होती जा रही है। पूरब से पश्चिम तक आए दिनों मासूम बच्चे आवारा कुत्तों के शिकार बन रहे हैं। आप जिला अस्पतालों में एंटी रेबीज वैक्सीन के खपत के आंकड़े देख लीजिए तो इसकी भयावहता पता चल जाएगी। इस पर अंकुश के लिए सरकार कोई नीति क्यों नहीं बनाती?

– इसे लेकर कई समस्याएं हैं। सबसे बड़ी समस्या तो पशु प्रेमी संस्थाओं की ओर से आती है। वे विरोध में उतर जाते हैं। इसके बावजूद हमारी सरकार ने पशु आश्रय योजना के तहत काफी पैसा दिया है। इस योजना के जरिये आवारा कुत्तों, पशुओं को कांजी हाउस में रखा जा सकता है।