डोकलाम विवाद: चीन के आगे झुकने के आरोपों के साथ राहुल का सुषमा पर वार

  नई दिल्ली। राजग सरकार की सुरक्षा और विदेश नीति के मोर्चे पर उपलब्धियों के दावे को पंक्चर करने के लिए कांग्रेस ने सरकार की कमजोर कडि़यों पर आक्रामक सियासी प्रहार का सिलसिला तेज कर दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने डोकलाम मामले में राजग सरकार पर चीन के सामने घुटने टेकने का गंभीर आरोप लगाया। राहुल ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के डोकलाम विवाद का परिपक्वता से समाधान निकालने के संसद में दिये बयान पर आड़े हाथ लेते हुए सरकार को कठघरे में खड़ा किया।

राहुल ने कहा कि सुषमा स्वराज जैसी शख्सियत की महिला का संसद में दिया गया बयान जाहिर करता है कि वह चीन के दबाव में झुक गई हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि सरकार का चीन के दबाव में पूरी तरह झुकना सीमा पर देश की रक्षा कर रहे सैनिकों के साथ विश्वासघात है।

विदेश मंत्री के बुधवार को लोकसभा में डोकलाम पर दिये बयान पर ट्वीट के जरिये राहुल ने हमला किया। उन्होंने इसी क्रम में चीन की सैन्य गतिविधियों को लेकर अमेरिकी आकलन से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट को भी टैग किया। सुषमा स्वराज ने डोकलाम सीमा विवाद पर लोकसभा में बुधवार को कहा था कि कूटनीतिक परिपक्वता के जरिये अपनी जमीन छोड़े बिना विवाद का समाधान निकाल लिया गया। विदेश मंत्री ने डोकलाम पर पूर्व स्थिति बने रहने की बात भी कही। राहुल ने इसी पर सुषमा को अमेरिकी कांग्रेस की उस रिपोर्ट के जरिये घेरा जिसमें कहा गया है कि चीन चुपके-चुपके डोकलाम में अपना सैन्य प्रभाव बढ़ा रहा है और भारत तथा भूटान दोनों उसे नहीं रोक रहे।

कांग्रेस डोकलाम ही नहीं पाकिस्तान के साथ लगातार बिगड़ते रिश्ते और संघर्ष विराम के बार-बार उल्लंघन को लेकर राजग सरकार की नीति पर सवाल उठा रही है। सरकार की पाकिस्तान नीति नाकाम होने का पार्टी दावा तो कर ही रही है। साथ ही जम्मू-कश्मीर के हालात पिछले ढाई दशक में सबसे खराब होने का मुद्दा उठा भाजपा की राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर किये गए चुनावी दावों को हकीकत की कसौटी पर कस रही है।

पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने भी कुछ समय पहले डोकलाम सीमा विवाद के दौरान राजग सरकार की चूक को लेकर सवाल उठाया था। इसी तरह राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने पार्टी की आधिकारिक प्रेस कांफ्रेंस में डोकलाम को लेकर सीधे प्रधानमंत्री पर हमला किया था। कांग्रेस ने सरकार से इस सवाल का भी जवाब मांगा था कि भूटान के साथ चीन के राजनयिक रिश्ते नहीं होने के बाद भी भारत की जानकारी के बिना चीन के विदेश उपमंत्री भूटान कैसे चले गए।