मुजफ्फरपुर। महिलाओं की मदद के लिए हेल्पलाइन सेंटर के रूप में बने स्वाधार केंद्र में महिलाओं को कितनी मदद मिलती थी, यह तो जांच के बाद स्पष्ट होगा। लेकिन, प्रारंभिक जांच में वहां से जो साक्ष्य मिले हैं, उनसे आशंका जताई जा रही कि यहां भी महिलाओं के साथ गलत काम किया जाता था।
12 बजे रात के बाद आती थी चिल्लाने की आवाज
जांच के दौरान पुलिस पूछताछ में स्थानीय चार लोगों ने बताया कि रात के 12 बजे के बाद यहां से चीखने-चिल्लाने की आवाज आती थी। आवाज से ऐसा लगता था कि किसी महिला के साथ जबरदस्ती की जा रही हो। कई बार तो पड़ोस के कुछ बुद्धिजीवियों ने ब्रजेश ठाकुर से इसकी शिकायत भी की थी। लेकिन, ब्रजेश ने यह कहकर शांत करा दिया कि कुछ पागल महिलाएं यहां रहती हैं, जो रात में तरह-तरह की आवाज निकालकर चिल्लाती हैं।
हेल्पलाइन के नाम पर महिलाओं का होता था शारीरिक शोषण
हालांकि, कुछ लोग ब्रजेश की इस दलील से इत्तेफाक नहीं रखते हैं। उनका कहना है कि ब्रजेश की बात बेबुनियाद है। पड़ोसियों का कहना है कि रातभर यहां पुरुषों का आना-जाना लगा रहता था। दबी जुबान से पुलिस मान रही है कि बंद कोठरी के अंदर महिलाओं का शोषण होता था।
मिले इस्तेमाल किए कंडोम, आपत्तिजनक सामान
स्वाधार केंद्र से इस्तेमाल कंडोम, बेड पर गिरे दाग व अन्य आपत्तिजनक सामान मिलने से कई तरह की आशंकाएं बढ़ गई हैं। पुलिस टीम इन सभी बिंदुओं पर जांच कर रही है। एफएसएल की रिपोर्ट के बाद यह स्पष्ट हो जाएगा कि यहां पर होनेवाले खेल के पीछे सच्चाई क्या है।
मीडिया के समक्ष एफएसएल अधिकारियों ने जो संकेत दिए है, उससे यह स्पष्ट है कि यहां पर गलत काम होता था। दूसरी ओर पुलिस टीम पड़ोस में लगे सीसीटीवी कैमरे के वीडियो फुटेज को भी खंगाल रही है। वहां आने-जानेवाले लोगों के बारे में भी स्थानीय लोगों से पूछताछ कर पता लगाया जा रहा है। इलाके के टावर डंपिंग सिस्टम से कॉल डिटेल्स निकाली जा रही है। पुलिस का कहना है कि वैज्ञानिक जांच में सब कुछ सामने आ जाएगा।
बालिका गृह में थीं छह-सात वर्ष की मासूम, 21 साल की युवती भी
मुजफ्फरपुर बालिका गृह में छह वर्ष की मासूम भी रह रही थी। वो बेगूसराय की थी। उसके साथ ही यहां सात वर्ष से लेकर 21 वर्ष की बालिकाएं थीं। इनमें 15 वर्ष तक की उम्र की कई थीं। विभागीय जानकारी के अनुसार, छह वर्ष की एक, सात वर्ष की एक, आठ वर्ष की चार, 10 वर्ष की पांच, 11 वर्ष की तीन, 12 वर्ष की तीन, 13 वर्ष की छह, 14 वर्ष की दो, 15 वर्ष की नौ, 16 वर्ष की एक, 17 वर्ष की पांच, 18 वर्ष की तीन व 21 वर्ष की एक युवती यहां रह रही थी। हालांकि, नियमानुसार 21 वर्ष की युवती को यहां नहीं रखना था, मगर इसे नजरअंदाज किया गया।
पश्चिम बंगाल, मणिपुर व झारखंड की भी युवतियां
बालिका गृह में देश के कई राज्यों की युवतियां काफी लंबे समय से रह रही थीं। मुजफ्फरपुर के अलावा सीतामढ़ी, शिवहर, मोतिहारी, बेतिया व मधुबनी की भी बालिकाएं यहां रह रही थीं। इनके साथ ही अन्य प्रदेशों की भी युवतियां यहां रह रही थीं।
कोलकता, मणिपुर व झारखंड आदि की युवतियां भी यहां रह रही थीं। जिले की भी करीब छह युवतियां रहकर अपने परिजन के पास जाने की दुआ कर रही थीं। बताया जाता है कि इनमें से कई को परिजन तक पहुंचाने का आदेश जिला बाल कल्याण समिति दे चुकी थी, बावजूद बालिका गृह प्रबंधन इसमें रुचि नहीं ले रहा था।
13 युवतियों का पता गुमनाम
बालिका गृह में रह रहीं 44 बालिकाओं में 13 का पता नहीं था। ऐसी युवतियां काफी लंबे समय से यहां रहकर अपने परिजन से मिलने का इंतजार कर रही थी। इन युवतियों के घर के पते की जानकारी लेनी थी, मगर ऐसा नहीं होने से वो यहां रहने को विवश थी।
कहां की कितनी बालिकाएं
पता अप्राप्त – 13
मुजफ्फरपुर : 06
सीतामढ़ी : 07
झारखंड : 01
मोतिहारी : 02
मधुबनी : 05
मधेपुरा : 01
शिवहर : 01
भदई : 01
मणिपुर : 01
बेतिया : 02
बेगूसराय : 02
बोकारो : 01
सियालदह : 01
सहायक निदेशक ने कहा-
‘समाज कल्याण विभाग के निदेशक के निर्देश पर यहां रह रहीं बालिकाओं को पटना, मोकामा व मधुबनी हस्तांतरित किया गया था।
दिवेश कुमार शर्मा, सहायक निदेशक, जिला बाल संरक्षण इकाई