चंडीगढ़ जोड़ों के असहनीय दर्द (आर्थराइटिस) से ग्रस्त लोगों के लिए खुशखबरी है। जल्द ही उन्हें खास जैल बाजार में मिलेगी। उसके प्रयोग से न केवल उन्हें दर्द से तुरंत राहत मिलेगी, बल्कि टेबलेट और कैप्सूल से भी छुटकारा मिल जाएगा। इस जैल की खूबी यह है कि इसका शरीर पर किसी भी तरह का साइड इफैक्ट भी नहीं होगा।
देश में जोड़ों के दर्द को लेकर पहली बार पंजाब यूनिवर्सिटी के फार्माश्यूटिकल विभाग ने इस तरह की जैल तैयार की गई है। आर्थराइटिस से छुटकारा पाने के लिए पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ फार्माश्यूटिकल (यूआइपीएस) के प्रोफेसर और एक रिसर्च साइंटिस्ट ने कई सालों की कड़ी मेहनत के बाद इस खास जैल को तैयार किया है। जैल का ट्रायल भी सफल रहा है।
इस साल के अंत तक यह जैल बाजार में उपलब्ध हो जाएगी। देश की एक नामी फार्माश्यूटिकल कंपनी ने इस जैल को तैयार करने का प्रोजेक्ट पंजाब यूनिवर्सिटी के यूआइपीएस विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉ. ओपी कटारे को दिया जिसमें रिसर्च साइंटिस्ट गजानंद शर्मा का भी खास योगदान रहा है। इस जैल का पेटेंट भी फाइल किया जा चुका है।
ऐसे काम करेगी जैल
इस जैल को लाइपोसोम टेक्नोलॉजी से तैयार किया गया है। इस टेक्नोलॉजी में मोलिक्यूल्स को स्किन के अंदर बेहतर तरीके से भेजा जाएगा। स्किन के डेड टिश्यू को भी जैल इम्प्रूव करेगा और मसल्स को मजबूती प्रदान करेगा। जोड़ों के दर्द से पीडि़त मरीजों को नई जैल को दिन में सिर्फ एक या दो बार ही प्रयोग करना पड़ेगा।
जैल से स्किन पर किसी तरह का कोई साइड इफैक्ट भी नहीं होगा। जैल पूरी तरह स्मेल (दुर्गंध) फ्री होगी। साथ ही स्किन पर लगाने से स्किन का रंग भी निखरेगा। इस खास जैल का असर भी अन्य दवाओं और कैप्सूल के मुकाबले अधिक होगा। अभी बाजार में उपलब्ध दवा और कैप्सूल का साइड इफैक्ट भी अधिक होता है।
4 साल के शोध के बाद तैयार की जैल
जोड़ों के दर्द से राहत के लिए प्रो. कटारे और गजानंद शर्मा ने करीब चार साल की कड़ी मेहनत और लंबे ट्रायल के बाद इस खास जैल को तैयार किया। जैल को तैयार करने के लिए मुंबई की फार्मास्यूटिकल कंपनी द्वारा करीब 50 लाख का प्रोजेक्ट दिया गया था।
55 फीसद लोगों को जोड़ों के दर्द की शिकायत
देश में 55 फीसद लोग 50 की उम्र के बाद जोड़ों के दर्द से परेशान रहते हैं। यह परेशानी किसी खास क्लास (वर्ग) नहीं, बल्कि हर तरह के लोगों से जुड़ी है। महिलाएं इस बीमारी से अधिक परेशान रहती हैं। आनुवांशिक तौर पर भी यह बीमारी परिवार में बढ़ती है। मौजूदा लाइफ स्टाइल के कारण भी जोड़ों के दर्द के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। अमेरिका जैसे विकसित देश में भी इस समय 3 करोड़ के करीब लोग आर्थराइटिस से पीडि़त हैं।
कौन हैं जैल बनाने वाले प्रोफेसर डॉ.ओपी कटारे
पीयू फार्माश्यूटिकल विभाग में कार्यरत प्रोफेसर ओपी कटारे देश के जाने-माने फार्माश्यूटिकल साइंटिस्ट हैं। पीयू के पूर्व डीन रिसर्च रह चुके डॉ.ओपी कटारे के नाम 7 पेटेंट दर्ज हैं। उनके 14 पेटेंट फाइल हो चुके हैं। 200 से अधिक शोधपत्र नेशनल और इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित हो चुके है। देश-विदेश में 100 से अधिक सेमिनार को चेयर किया है। प्रो. कटारे के नाम 3 टेक्नोलॉजी मार्केट में आ चुकी हैं। वह 18 स्टूडेंट्स को पीएचडी करा चुके हैं।
यूआइपीएस के रिसर्च साइंटिस्ट गजानंद शर्मा का कहना है कि आर्थराइटिस से काफी बड़ी आबादी ग्रस्त रहती है। नई जैल से लोगों को दर्द से राहत को मिलेगी ही इसके साइड इफैक्ट भी कम होंगे।
प्रो. ओपी कटारे का कहना है कि जोड़ों के दर्द के लिए तैयार की गई यह जैल अपने आप में काफी खास है। इसका मरीज पर एक्शन मल्टीपल लेवल का होगा। इसका आर्किटेक्चरल डिजाइन इस तरह का बनाया गया कि इससे मरीज को अधिक से अधिक लाभ मिले।