पहाड़गज के होटल से 39 लड़कियों को छुड़ाया, सभी को ‘कॉल गर्ल’ बनाने की थी तैयारी

नई दिल्ली (जेएनएन/अरविंद कुमार द्विवेदी)। दिल्ली महिला आयोग (DCW) की स्वाति जयहिंद ने दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर संयुक्त अभियान में 50 से अधिक लड़कियों को छुड़वाया। जहां मंगलवार शाम को स्वाति ने वसंत विहार पुलिस थाना क्षेत्र से 18 महिलाओं को छुड़ाया था, वहीं दिल्ली में ही मंगलवार रात एक अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी रैकेट का पर्दाफाश किया। इस रैकेट में शामिल 39 लड़कियों पहाड़गंज के होटल से छुड़ाया गया है।

जानकारी के मुताबिक, दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति जयहिंद ने दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर इन लड़कियों को आजाद कराया। इन लड़कियों को नेपाल से यहां देह व्यापार के धंधे में शामिल करने के लिए लाया गया था।

गौरतलब है कि स्वाति जयहिंद ने मंगलवार को ही शाम में वसंत विहार पुलिस थाना क्षेत्र से 18 महिलाओं को छुड़ाया था। मिली जानकारी के मुताबिक, यूपी की वाराणसी पुलिस ने दिल्ली पुलिस के साथ मैदानगढ़ी गांव में दबिश देकर 18 और नेपाली महिलाओं को मुक्त कराया गया।

सभी लड़कियों को नेपाली दूतावास को सौंपा
खाड़ी देशों में रोजगार के नाम पर नेपाल की युवतियों को देह व्यापार में झोंकने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए सोमवार की रात बनारस क्राइम ब्रांच ने मैदानगढ़ी साकेत, थाना महरौली, दिल्ली से 18 लड़कियों को मुक्त कराया था। इनमें 16 नेपाली लड़कियों को मंगलवार को क्राइम ब्रांच ने नेपाली दूतावास को सौंप दिया जबकि न्यू जलपाईगुड़ी की दो लड़कियों को साथ लेकर पुलिस टीम बुधवार को बनारस पहुंचेगी। इस मामले में गिरफ्तार चारों आरोपितों को लाने के लिए पुलिस ने कोर्ट से ट्रांजिट रिमांड लिया है। उम्मीद है कि सभी बुधवार को वाराणसी की अदालत में पेश किए जाएंगे। सभी लड़कियां बालिग हैं। ऐसे में उन्हें किसी संस्था को न देकर नेपाली दूतावास को सौंप दिया गया ताकि वे अपने घर आसानी से जा सकें।

पुलिस ने उनके पास से 68 पासपोर्ट भी बरामद किए हैं। इसके अलावा कई और संदिग्ध सामान भी मिले जिन्हें जब्त कर लिया गया है। पूछताछ में सामने आया है कि नेपाल का एजेंट संदीप उन्हें नौकरी दिलाने के बहाने बनारस लाता था। यहां कुछ दिन रखने के बाद दिल्ली ले जाकर उन्हें देह व्यापार में लिप्त कराया जाता था। रोने बिलखने और घर वापसी के दबाव पर उन्हें खाड़ी देशों में भेजा जाता था लेकिन वहां भी नौकरी कम शोषण ज्यादा होता था।

पुलिस के मुताबिक पकड़ी गई सभी लड़कियां करीब महीने भर से एक ही मकान में रखी गई थीं। मकान मालिक को भी हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। उधर, मुख्य आरोपित संदीप बनारस से भागकर नेपाल पहुंच गया है। पुलिस की दो टीम उसकी भी गिरफ्तारी को नेपाल में लगातार दबिश दे रही है। वहीं गिरफ्तार आरोपितों में भारत निवासी पवन खुराना व राजेंद्र उर्फ राजन के अलावा नेपाल की सुंदरी व शाहबेन का कोर्ट से ट्रांजिट रिमांड बन गया। एसपी क्राइम ज्ञानेंद्रनाथ प्रसाद ने बताया कि सीओ क्राइम अभिनव यादव व इंस्पेक्टर शिवपुर विजय बहादुर सिंह के नेतृत्व में सभी आरोपितों को बनारस लाया जाएगा।

घर में ही रखता था युवतियों को, गांव वालों को नहीं लगी भनक
दक्षिणी दिल्ली के मैदानगढ़ी गांव स्थित जिस घर से बनारस की अपराध शाखा ने 19 युवतियों को मुक्त कराया है, उसे मुख्य आरोपित राजेंद्र यादव ने एक साल पहले ही एक करोड़ रुपये में खरीदा था। पहले वह इसी गांव में किराए पर रहता था। लोगों से कहता था कि वह टैक्सी चलाता है। यहां यूपी, बिहार, मणिपुर, सिलीगुड़ी से खेप में युवतियां लाई जाती थीं। एक खेप खाड़ी देशों में भेजने के बाद अगली लाई जाती थी। तीन कमरों के इस घर में हर तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जाती थीं जिससे युवतियों को घर से बाहर निकलने की जरूरत नहीं होती थी। ज्यादातर गरीब घरों की युवतियों को एजेंट के जरिये विदेश में नौकरी दिलाने का झांसा देकर लाया जाता है। उनका पासपोर्ट बनवाने के बाद उन्हें सऊदी अरब, दुबई, कुवैत, ओमान व बहरीन समेत अन्य खाड़ी देशों में वेश्यावृत्ति के लिए भेजा जाता है। गिरोह अब तक एक हजार युवतियों को विदेश भेज चुका है।

10 दिन तक डेरा डाले थी यूपी पुलिस
बनारस अपराध शाखा के डिप्टी एसपी अभिनव यादव के नेतृत्व में शिवपुर थाने के एसएचओ इंस्पेक्टर विजय बहादुर सिंह, एसआई प्रद्युम्न मणि त्रिपाठी, हरि नारायण पटेल, कांस्टेबल राहुल सिंह, अजय सिंह व देवाशीष की टीम 10 दिन से मैदानगढ़ी गांव में डेरा डाले थी। पुलिस ने बताया कि सभी युवतियों को पहले बनारस में रखा गया था लेकिन एक युवती ने मामला दर्ज करवाया तो पुलिस सक्रिय हो गई। गिरोह ने पकड़े जाने के डर से सभी युवतियों को ट्रेन से दिल्ली पहुंचाने की योजना बनाई लेकिन पुलिस को इसकी भनक लग गई। इसका अंदाजा होने पर पवन सभी लड़कियों को फ्लाइट से दिल्ली लाया।

168 में 61 पासपोर्ट नेपाल के
आरोपितों से मिले कुल 68 में से 61 पासपोर्ट नेपाल के हैं जबकि 7 भारत के। यूपी पुलिस अब इन पासपोर्ट पर दर्ज पते पर दबिश देकर अन्य युवतियों से संपर्क कर रही है। पुलिस इस बारे में नेपाल के दूतावास से भी संपर्क कर रही है। डीएसपी अभिनव यादव ने बताया कि यह गिरोह करीब दो साल से दिल्ली, यूपी, हैदराबाद व जयपुर में सक्रिय है। जिन भी शहरों से खाड़ी देशों के लिए सीधी हवाई सेवा है, वहां से फ्लाइट के टिकट का इंतजाम आरोपित पहले से ही रखते थे ताकि पुलिस की भनक लगते ही दूसरे शहर के एयरपोर्ट से लड़कियों की खेप भेज सकें। पुलिस के अनुसार मानव तस्करी का धंधा करने वाले ज्यादातर आरोपित इंटरनेशनल एयरपोर्ट के आसपास ही अपने ठिकाने बनाते हैं। इससे उन्हें लड़कियों को लाने-ले जाने में आसानी होती है।

खुद को सज्जन दिखाता था राजेंद्र
मैदानगढ़ी गांव के आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष महावीर सिंह डागर ने बताया कि राजेंद्र का व्यवहार देखकर कोई सोच भी नहीं सकता था कि वह इतना शातिर होगा। वह गांव में जिधर से भी निकलता, बड़े-बुजुर्गों व महिलाओं के पैर छूता था।