सवर्ण आरक्षण को ले दुविधा में,भाजपा को घेरने में जुटी राजद पार्टी

पटना। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) आर्थिक आधार पर गरीब सवर्णों के आरक्षण को लेकर फिर से दुविधा में है। बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने गरीब सवर्णों के लिए 10 फीसद आरक्षण का पक्ष लिया था।

बदले हालात में आरक्षण एवं एससी-एसटी एक्ट के मसले पर केंद्र सरकार की किरकिरी का अनुमान लगाते हुए राजद लोकसभा चुनाव में भाजपा को घेरने के लिए इसे मुद्दा बनाने के पक्ष में तो है किंतु साथ ही इसे बर्रे का छत्ता भी मान रहा है।

लोकसभा चुनाव की रणनीतियां तय करने के लिए राजद ने मंगलवार को शीर्ष स्तर की बैठक बुलाई है, जिसमें केंद्र की भाजपा सरकार के साढ़े चार साल के कार्यों की समीक्षा करते हुए महागठबंधन के लिए मुद्दे तय किए जाएंगे।

प्रत्यक्ष तौर पर बैठक में बूथ लेबल एजेंटों की नियुक्ति और रघुवंश प्रसाद सिंह के नेतृत्व में बनी संघर्ष समिति के लिए एजेंडा तय करना है, लेकिन परोक्ष रूप से तेजस्वी यादव अपने थिंक टैंक से जानने की कोशिश करेंगे कि आरक्षण एवं एससी-एसटी एक्ट के मुद्दे पर भाजपा के खिलाफ सवर्णों के गुस्से को राजद किस तरह भुनाए।

ज्वलंत मुद्दों पर पार्टी की लाइन तय करने की जिम्मेवारी राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी, जगदानंद सिंह और मंगनीलाल मंडल को दी गई है। शिवानंद तिवारी के मुताबिक एससी-एसटी एक्ट में संशोधन करके भाजपा ने अपने ही पैर में कुल्हाड़ी मारी है। इसका सबसे ज्यादा विरोध भाजपा के कोर वोटर ही कर रहे हैं।

आरक्षण के बारे में भाजपा नेताओं के उलझे बयानों ने भी उसके वोट बैंक को गहरा प्रभावित किया है। ऐसे में भाजपा विरोधी दलों का अपना स्टैंड तय करना वक्त की मांग है। कांग्र्रेस ने गरीब सवर्णों को भी 10 फीसद आरक्षण का पक्ष लिया है। राजद को भी अपनी लाइन साफ करनी है। इतना साफ है कि हम जल्दीबाजी में कोई निर्णय नहीं लेने जा रहे।

सबको साथ लेकर चलने के पक्ष में तेजस्वी 

नेता प्रतिपक्ष को अहसास है कि वोटों के लिहाज से सवर्णों की आबादी भले ही कम है, लेकिन जन मानस को प्रभावित करने और सियासी लहर बनाने में इसकी भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। यही कारण है कि राजद का नया नेतृत्व सबको साथ लेकर चलने के पक्ष में है।

तेजस्वी ने आबादी के हिसाब से भागीदारी देने का बयान भी दे चुके हैं। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान लालू प्रसाद भी जनसभाओं में गरीब सवर्णों को 10 फीसद आरक्षण देने की बात करते रहे थे।