गोरक्षपीठ की परंपरागत- सीट रही सदर लोकसभा क्षेत्र में 19 मई को मतदान है। इस लोकसभा सीट पर 1989 से मार्च 2018 तक भाजपा का कब्जा था। 1998 से 2017 में मुख्यमंत्री बनने तक योगी आदित्यनाथ ने इस सीट का प्रतिनिधित्व किया। सीएम बनने के बाद योगी के इस्तीफे से रिक्त सीट पर हुए उपचुनाव में सपा के प्रवीण निषाद ने जीत दर्ज की थी। इसी उपचुनाव में समर्थन के जरिए सपा व बसपा के एक मंच पर आने की जमीन तैयार हुई थी। इस चुनाव में भाजपा के सामने खोई सीट फिर से पाने की चुनौती है।
मार्च 2018 में हुए उपचुनाव में सपा-बसपा के साझा उम्मीदवार प्रवीण कुमार निषाद ने जीत दर्ज की। इसके साथ ही 29 साल से चला आ रहा भाजपा का कब्जा खत्म हो गया। इस बीच भाजपा ने लगातार चुनावी अभियानों के साथ ही सपा सहित दूसरे दलों से अलग-अलग जातियों के नेताओं को शामिल कर अपने समीकरण ठीक करने की कोशिश की है। 2019 के इस महासमर में इन नए समीकरणों और महागठबन्धन, कांग्रेस की तैयारियों की परीक्षा होगी।
देश में 1951-52 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए थे। तब गोरखपुर और आसपास के जिलों को मिलाकर चार सांसद चुने जाते थे। 1951-52 में सिंहासन सिंह गोरखपुर दक्षिण से कांग्रेस के सांसद चुने गए थे। यही सीट बाद में गोरखपुर लोकसभा सीट कहलाई। 1957 में गोरखपुर लोकसभा सीट से सिंहासन सिंह दूसरी बार चुनाव जीते। 1962 के चुनाव में पहली बार गोरक्षपीठ ने चुनावी राजनीति में पदार्पण किया। गोरखनाथ मंदिर के तत्कालीन महंत ब्रह्मलीन दिग्विजयनाथ हिंदू महासभा के टिकट पर मैदान में उतरे लेकिन वह कांग्रेस के सिंहासन सिंह से कुछ वोटों के अंतर से हार गये। .
1967 में पहली बार जीते महंत दिग्विजयनाथ
महंत दिग्विजयनाथ ने कांग्रेस को लगातार टक्कर दी लेकिन चुनाव में पहली सफलता 1967 में मिली। दो साल बाद ही 1969 में उनका निधन हो गया। 1970 में उपचुनाव हुआ। तब उनके उत्तराधिकारी और गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ मैदान में उतरे। उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की। 1971 के चुनाव में कांग्रेस के नरसिंह नरायण पांडेय ने यह सीट वापस ले ली। 1977 में हुए चुनाव में भारतीय लोकदल के हरिकेश बहादुर जीते। 1980 के चुनाव में हरिकेश बहादुर कांग्रेस के टिकट पर जीते। 1984 में फिर लोकदल उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे लेकिन तब कांग्रेस के मदन पांडेय ने उन्हें हरा दिया।.
89 में दोबारा मैदान में उतरे महंत अवेद्यनाथ
1989 के चुनाव में अयोध्या में धर्मसंसद के कहने पर राम मंदिर आंदोलन की अगुवाई कर रहे महंत अवेद्यनाथ फिर से चुनावी मैदान में उतरे। हिंदू महसभा के टिकट पर उन्होंने जीत हासिल की। 1991 में वह भाजपा उम्मीदवार के तौर पर जीते। 1996 में तीसरी बार जीत हासिल की। 1998 में अपने उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ को मैदान में उतारा जिन्होंने 1999, 2004, 2009 और 2014 में जीत का सिलसिला कायम रखा। 1998 में जीतकर योगी देश के सबसे कम उम्र के सांसद बने थे।
वर्ष सदस्य पार्टी
1989-90 महंत अवेद्यनाथ हिन्दू महासभा
1991-96 महंत अवेद्यनाथ भाजपा
1996-98 महंत अवेद्यनाथ भाजपा
1998-99 योगी आदित्यनाथ भाजपा
1999-2004 योगी आदित्यनाथ भाजपा
2004-09 योगी आदित्यनाथ भाजपा
2009-14 योगी आदित्यनाथ भाजपा
2014-17 योगी आदित्यनाथ भाजपा
वर्ष 2018 प्रवीण कु. निषाद सपा
गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र : 2014 का परिणाम
पार्टी प्रत्याशी मत मिले वोट प्रतिशत .
भाजपा योगी आदित्यनाथ 539127 51.80
सपा राजमति निषाद 226344 21.75
बसपा रामभुआल निषाद 176421 16.95
कांग्रेस अष्टभुजा त्रिपाठी 45719 04.39
गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र : 2018 उपचुनाव का परिणाम
पार्टी प्रत्याशी मत मिले वोट प्रतिशत .
सपा प्रवीण कु. निषाद 456513 48.87 .
भाजपा उपेंद्र दत्त शुक्ल 434632 47.53 .
कांग्रेस डॉ. सुरहिता करीम 18856 02.02