लोकसभा चुनाव / प्रयागराज में ढके गए चौराहों पर बने कमल फूलों के प्रतीक, लखनऊ के हाथियों के लिए डीएम ने मांगा आदेश

प्रयागराज. कुंभ मेले के दौरान प्रयागराज शहर को खूबसूरत बनाने के लिए चौक-चौराहों पर कमल के फूलों व प्रतीकों को लगाया गया था। लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान व आचार संहिता लगने के बाद इन कमल के फूलों वाले प्रतीकों को अब पॉलिथीन व बोरियों से ढका जा रहा है। यह कार्रवाई विपक्षी दलों की शिकायत के बाद चुनाव आयोग के निर्देश पर हो रही है। प्रशासन का यह कदम लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है।

सपा-कांग्रेस ने की थी आयोग में शिकायत
दरअसल, 15 जनवरी से चार मार्च तक प्रयागराज में कुंभ मेले का आयोजन हुआ। इस दौरान प्रयागराज शहर की भव्यता बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार ने चौक-चौराहों को नए सिरे से सजाया संवारा था। जानसेनगंज, ट्रैफिक पुलिस लाइंस व अन्य कई जगहों कमल के फूलों के प्रतीकों को लगाया गया था। देश में आचार संहिता लगने के बाद विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी, कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाया और कहा कि, प्रदेश सरकार ने मेले के दौरान चुनाव के मद्देनजर जानबूझकर बड़ी संख्या में चौराहों पर कमल के फूल के प्रतीकों को लगाकर प्रचार पाने की कोशिश की है। इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की गई। चुनाव आयोग ने प्रयागराज जिला प्रशासन को इन प्रतीकों को ढकने का आदेश दिया।

इस आदेश के क्रम में बुधवार को जिला प्रशासन ने जानसेनगंज व ट्रैफिक पुलिस लाइंस चौराहे पर लगे कमल के प्रतीकों को पॉलिथीन से ढक दिया है। अफसरों का कहना है कि चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित आदर्श आचार संहिता के नियमों का पालन करने के तहत किया जा रहा है।

हाथियों को ढकने के लिए आयोग से मांगा दिशा निर्देश
2012 में कोर्ट के आदेश के बाद नोएडा के मशहूर दलित प्रेरणा स्थल में लगी विशालकाय दर्जनों हाथी की मूर्तियों को चुनाव आयोग ने ढंक दिया था।  जिसपर मायावती ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि खुला हाथी लाख का, ढका हाथी सवा लाख का। वहीं समाजवादी पार्टी सरकार के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट साइकिल ट्रैक का निर्माण कई शहरों में हुआ है और वहां भी साइकिल का निशान है जो समाजवादी पार्टी का सिंबल है। इसे लेकर भी पिछले चुनावों में विवाद बना था लेकिन फिलहाल अभी इन ट्रैक्स या सिंबल को लेकर चुनाव आयोग ने कोई निर्देश नहीं दिए हैं। लखनऊ के जिला निर्वाचन अधिकारी कौशल राज ने बताया हमने हाथियों को ढकने के लिए चुनाव आयोग से मार्ग दर्शन मांगा है।