लोकसभा चुनावों के साथ तीन राज्यों महाराष्ट्र हरियाणा और झारखंड में समय से पूर्व चुनाव की चर्चाएं इधर कमजोर पड़ी हैं, लेकिन यदि ऐसा होता है तो कांग्रेस को इसमें कोई हर्ज नजर नहीं आता है। बल्कि कांग्रेस इन तीन राज्यों में समय से पूर्व चुनाव को अपने लिए फायदेमंद मान रही है। पिछली बार जब लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद इन राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस के हाथ से महाराष्ट्र और हरियाणा निकल गए थे। झारखंड में कांग्रेस समर्थित झामुमो सरकार भी बच नहीं पाई।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि लोकसभा चुनावों के साथ विधानसभा चुनाव होते हैं तो हम इसके लिए तैयार हैं। समय पूर्व चुनाव के विरोध की संभावना को वह नकारते हैं। मोटे तौर पर हुड्डा का मानना है कि तीन राज्यों में जीत के बाद स्थितियां कांग्रेस के अनुकूल बनी हुई हैं। यदि लोकसभा के साथ इन तीन राज्यों में चुनाव होते हैं तो इसका फायदा कांग्रेस को मिलेगा।
रणनीति: इसलिए राम मंदिर मुद्दे पर भाजपा फूंक-फूंक कर रख रही है कदम
लोकसभा चुनावों के साथ ओडिशा, आंध्र प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और तेलंगाना के चुनाव होते हैं। तेलंगाना में समय पूर्व चुनाव हो चुके हैं। तीन राज्यों में अक्टूबर से दिसंबर के बीच चुनाव होने हैं। इसलिए इन चुनावों को भी लोकसभा के साथ कराने की अटकलें कुछ समय पहले तक चल रही थी। इसके पीछे दो तर्क थे। एक भाजपा अपना राजनीतिक नफा-नुकसान जोड़ रही थी, दूसरे एक राष्ट्र एक चुनाव की योजना को मजबूत बनाने की दिशा में भी यह कदम माना जा रहा था। लेकिन तीन राज्यों के नतीजों के बाद यह सुगबुगाहट अचानक कमजोर पड़ गई है।
गडकरी ने किया खंडन, मेरे बयानों को गलत तरीके से पेश किया गया
दरअसल, चुनावी हारजीत में समय और संदेश भी अहम होता है। संदेश से कांग्रेस उत्साहित है, वक्त ज्यादा नहीं बचा है। इसलिए कांग्रेस मौजूदा परिस्थितियों को अपने हक में देख रही है। हुड्डा कहते हैं कि नतीजे दूसरे चुनावों के लिए जनमानस को प्रभावित करते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में भारी हार के बाद कांग्रेस हरियाणा और महाराष्ट्र में भी हार गई थी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि एक हार का असर दूसरी हार पर पड़ा।