राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का किया शुभारंभ, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने किया स्वागत

सामान्यता लोग न्यायपालिका से मदद लेने से हिचकिताते हैं। सभी को न्याय मिले। सभी को समझ में आने वाली भाषा में निर्णय हो। महिलाओं और दबे कुचले लोगों को न्याय मिले। सभी नागरिकों का मूलभूत अधिका है कि न्याय उनकी पकड़ में हो। जनसाधारण में न्यायपालिका के प्रति उत्साह बढ़ाना चाहिए। लंबित मामलों का निस्तारण किया। जजों की संख्या बढ़ाई जाए। पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराया जाए। राज्य सरकार के सहयोग से हाईकोर्ट आगे बढ़ेगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट की महत्वपूर्ण भूमिका अधिक है। विधि विश्वविद्यालय के लिए प्रयागराज ही सर्वोत्तम स्थान चुना गया। जमीन उपलब्ध कराने के लिए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और उनकी टीम के प्रति आभार जताया।

उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में विश्वस्तरीय विधि व्यवस्था हमारे राष्ट्र और समाज में एक है। कक्षा 12 के बाद ही विधि में छात्र हिस्सा लेते हैं। स्कूल स्तर से ही कानून के क्षेत्र में कैरियर बनाते हैं। विधि शिक्षण के सभी संस्थानों में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दी जाए। व्यवस्था के निर्मित हो जाने के बाद सुधार की प्रक्रिया जटिल हो जाती है। यहां श्रेष्ठतम व्यवस्था की जाएगी। छात्राओं और शिक्षिकाओं पर जोर दिया जाना चाहिए। विश्व की श्रेष्ठतम पद्धतियों का अनुसरण इस विश्वविद्यालय में किया जाना चाहिए। आज ही के दिन 128 वर्ष पहले शिकागो में स्वामी विवेकानंद ने भारत के गौरवशाली परंपरा का गुणगान किया था। स्वामी जी ने हर प्रकार के उत्पीड़न का विरोध किया था। उन्होने सहिष्णुता का संदेश पूरी मानवता तक पहुंचाया था। 11 सितंबर को जो कीर्तिमान स्वामी जी ने स्थापित किया था उसका अनुसरण युवा करेंगे।

इलाहाबाद हाईकोर्ट में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद संबोधित कर रहे हैं। राष्ट्रीय विधि विश्वविद्याल और अधिवक्ता चैंबर का शिलान्यास करके काफी प्रसन्नता हुई। न्यायाधीशों की संख्या की दृष्टि से इलाहाबाद हाईकोर्ट सबसे बड़ा कोर्ट है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की परंपरा, मदन मोहन, मोतीलाल, कैलाशनाथ काटजू आदि ने इसी परिसर से भारत इतिहास के गौरवशाली इतिहास लिखे। उच्चतम न्यायालय में 33 में चार महिलाएं जो सबसे अधिक है। महिलाओं में न्याय प्रकृति अधिक होता है। उनमें सबको न्याय देने में क्षमता होती है। न्यायपूर्ण समाज की स्थापना तभी संभव होगी जब महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी। आज 12 प्रतिशत से भी महिला जजों की कम है। महिलाओं की संख्या को बढ़ाना होगा। इस हाईकोर्ट में महिलाओं की संख्या अधिवक्ता, अधिकारी और न्यायाधीश के रूप में बढ़ेगी एसी अपेक्षा है।