राजस्थान बरसाने में आकाश से बरसे लड्‌डू, लूटने को मची होड़

भरतपुर. दुनियां में ब्रज की होली अनूठी है। इसमें भी अनूठी है बरसाने की लट्ठमार होली लेकिन लट्ठमार होली से पहले लाडली जी मंदिर पर आसमान से लड्डू बरसे तो श्रद्धालुओं को सुखद अनुभूति के साथ आश्चर्य भी हुआ और वह प्रभु के प्रसाद के रूप में लड्डू लूटने के लिए लालायित हो उठे। इससे पहले बरसाना की होली में अबीर गुलाल के साथ लाठियां भी बरसती हैं। इसलिए अगर यहां होली खेलनी है तो पूरी तैयारी से आना।’ कुछ यही भाव वाला राधारानी का संदेश जब कन्हैया को मिला तो उन्होंने भी चुनौती स्वीकार कर ली। श्रीजी की सखियां बरसाना से होली न्यौता लेकर नंदभवन गई थीं। हां सुनते ही चहुंओर उल्लास और उमंग का माहौल हो गया, मानो मनमांगी मुराद मल गई हो। मारे खुशी के एक दूसरे पर लड्डुओं की बौछार कर दी और शुरू हो गई बरसाने की विश्व प्रसिद्धान ही रंगीन हो गया था।

दोपहर बाद करीब तीन बजे से ही श्रद्धालुओं का रेला श्रीजी मंदिर में उमड़ने लगा था। राधारानी के दर्शनों के लिए श्रद्धालु व्याकुल हो रहे थे, जैसे ही शाम के चार बजते ही पट खुले और लड्डू की होली शुरू हुई। श्रद्धालु बोल उठो होरी खेले तो आइ जइयो बरसाने रसिया…, कान्हा तोईऐ बुलाय गई नथवारी, ओ कान्हा…। भक्तों ने श्री जी के दर्शन कर उन्हें गुलाल और लड्डू अर्पित किए। गोस्वामी गायन में जुटे थे। नंदगांव कौ पाड़ौ ब्रज बरसाने आयो, होरी कौ पकवान भर भर झोरी खायौ… पद का गायन हुआ। प्रसाद रूपी लड्डू को लूटने के लिए असंख्य हाथ ऊपर उठे दिखाई दिए। युवक, बालक, वृद्ध, महिलाएं सभी झोली फैलाए लड्डू पाने की होड़ में थे। सुबह से ही बरसाने में देश के अन्य राज्यों से श्रद्धालु भक्तों का उमड़ना शुरू हो गया यह सिलसिला दोपहर तक जारी रहा।

बूंदी के लड्डूओं का होता हा इस्तेमाल

बरसाने की लड्डू होली मे बूंदी के लड्डू प्रयोग होते है। प्रारंभिक शुरूआत मंदिर व सेवायत द्वारा लड्डू राधारानी को अर्पित किये गये लड्डूओ से होती है। तथा इसी कड़ी मे श्रद्धालुओ द्वारा भी भारी मात्रा मे राधारानी को भोग स्वरूप अर्पित किये जाने वाले लड्डुओ को भी इसी मै शामिल किया जाता है। श्रद्धालू अपने साथ अपनी क्षमतानुसार भोग के लिये व लुटाने के लिये लड्डू लाते है वह स्वयं भी सेवायतो के साथ लड्डू प्रसाद उडाते है।
जानकारो के अनुसार इल होली मै  दस से पन्द्रह क्विंटल के बीच लड्डूओ की खपत हो जाती है।