
प्रदेश की सड़कें खूनी हो गई हैं। लोगों की जरा सी लापरवाही जानलेवा साबित हो रही है। इस साल जुलाई के अंत तक राज्य में 12366 लोग सड़क हादसों में दमतोड़ चुके हैं। इस लिहाज से हर दिन होने वाली मौतों का आंकड़ा 58 से अधिक है यानि सात महीनों में मरने वालों का औसत कोरोना से भी कहीं अधिक है। बीते साल कोरोना में लॉकडाउन के चलते एक्सीडेंट की घटनाओं में कुछ कमी आई थी मगर इस वर्ष संख्या फिर बढ़ गई।
कोरोना पर तो प्रदेश में काफी हद तक काबू पा लिया गया है लेकिन सड़क हादसों में बड़ी संख्या में लोग लगातार दम तोड़ रहे हैं। इस वर्ष एक जनवरी से 31 जुलाई तक के आंकड़े देखें तो राज्य में 21522 एक्सीडेंट हुए। इन हादसों में 14113 लोग घायल हुए जबकि 12366 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। सड़क दुर्घटनाओं में मौतों का यह सिलसिला थम नहीं रहा। पिछले साल कोरोना के चलते मार्च के अंतिम सप्ताह में लॉकडाउन हो गया था। इसके बावजूद जनवरी से जुलाई के बीच 17985 सड़क हादसे हुए। इनमें 11893 लोग घायल हुए और 10100 की जान चली गई यानि रोज 47 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई।
2019 की तुलना में आई कमी
सड़क हादसों को अगर तुलनात्मक ढंग से देखें तो 2019 की तुलना में इस साल संख्या में कुछ कमी आई है। वर्ष 2019 में जनवरी से जुलाई के बीच सात महीनों में 26096 एक्सीडेंट हुए थे। इनमें 17769 लोग घायल हुए। जबकि मरने वालों की संख्या 14209 है यानि तब रोज मरने वालों का औसत 67 था।
लापरवाही पड़ रही भारी
सड़क दुर्घटनाओं के पीछे हद दर्जे की लापरवाही है। जानकारों की मानें तो सड़क पर ड्राइविंग करने वालों में अप्रशिक्षितों की संख्या काफी अधिक है। सड़कें पहले से काफी बेहतर हुई हैं, ऐसे में बहुत तेज गति से गाड़ी चलाना भी हादसों की बड़ी वजह है। तमाम दोपहिया वाहन हेलमेट का प्रयोग और ट्रैफिक सिग्नल का पालन भी नहीं करते। वहीं सड़क हादसों में तमाम मौतें ऐसी भी हैं, जिन्हें समय से इलाज मुहैया नहीं हो सका।
मार्च में हुईं सबसे ज्यादा मौत
माह एक्सीडेंट मृत घायल
जनवरी 3069 1768 1956
फरवरी 2990 1677 1954
मार्च 3577 1980 2449
अप्रैल 2707 1547 1760
मई 2865 1799 1790
जून 3149 1850 1986
जुलाई 3165 1745 2218