बिहार-यूपी में शिक्षकों के चार लाख से ज्यादा पद खाली

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए देश में अच्छे शिक्षकों की बेहद कमी है। आंकड़ों पर गौर करें तो भारत में अच्छे और जरूरत के मुताबिक योग्य अध्यापकों की कमी लगभग हर राज्य में है। एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में प्राइमरी स्तर पर तकरीबन 5 लाख अध्यापकों की कमी है, वहीं सेकेंडरी लेवल पर 14 फीसदी ऐसे स्कूल हैं जो न्यूनतम 6 अध्यापकों के पैमाने को पूरा नहीं कर पा रहे है। यह जानकारी बच्चों के अधिकारों से जुड़ी एक स्वयंसेवी संस्था ने जुटाये हैं। .

सेंटर फॉर बजट एंड गवर्नेंस अकाउंटबिलिटी (सीबीजीए) और चाइल्ड राइट एंड यू (क्राई) नाम की संस्थाओं ने अपने रिसर्च में उत्तर प्रदेश और बिहार में सबसे चिंताजनक हालात पाया। छह राज्यों के पड़ताल में यूपी और बिहार ऐसे राज्य हैं, जहां सबसे ज्यादा कुल 4.2 लाख शिक्षकों के पद खाली हैं। हालांकि, इस क्रम में तमिलनाडु और महाराष्ट्र ने बेहतर प्रदर्शन किया है। इन दोनों राज्यों ने अपने यहां तकरीबन 95 फीसदी शिक्षकों की नियुक्ति कर डाली है। सूमचे देश में बिहार की हालत शिक्षक-छात्र अनुपात, शिक्षकों की संख्या और उनकी ट्रेनिंग के मामले में सबसे ज्यादा खराब है।.

अनट्रेंड शिक्षकों की भरमार

बिहार के प्राइमरी और हायर सेकेंडरी स्कूलों में बिना ट्रेनिंग वाले अध्यापकों की भरमार है। बिहार की तरह ही स्थिति पश्चिम बंगाल में भी देखने को मिली है। रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के प्राथमिक स्कूलों में 38.7 फीसदी अध्यापक प्रोफेशनली ट्रेंड नहीं हैं। वहीं, सेकेंडरी लेवल पर ऐसे अध्यापकों की संख्या 35.1 फीसदी है। जबकि, पश्चिम बंगाल में यह आंकड़ा प्राथमिक शिक्षा में 31.4 और सेकंडरी लेवल पर 23.9 फीसदी है।.

कॉन्ट्रैक्ट पर अध्यापकों की नियुक्ति 

इन संस्थाओं के अध्ययन में पाया गया है कि कई राज्यों में शिक्षा बजट में कमी बेहतर एजुकेशन मुहैया कराने में बड़ी बाधा है। स्कूलों में अच्छे अध्यापकों के अलावा बुनियादी जरूरतों का पूरा अभाव है। कई राज्यों में क्वालिफाइड टीचर नहीं होने के चलते उन्होंने कॉन्ट्रैक्ट पर अध्यापकों की नियुक्ति कर ली है।

प्राइमरी स्तर पर 5 लाख अध्यापकों की कमी, सेकेंडरी लेवल पर 14 फीसदी ऐसे स्कूल हैं जो न्यूनतम 6 अध्यापकों के पैमाने को पूरा नहीं कर पा रहे

तमिलनाडु और महाराष्ट्र का प्रदर्शन बेहतर, दोनों राज्यों ने अपने यहां 95 फीसदी शिक्षकों की नियुक्ति की है