
राजधानी लखनऊ के 19 गांव के नक्शे ढूंढे नहीं मिल रहे हैं। दो वर्षों से इनकी खोज की जा रही है। जिन गांव के सजरा नक्शे नहीं मिल पा रहे हैं उनकी जमीनें काफी कीमती बताई जा रही हैं। सजरा प्लान न मिल पाने की वजह से जीआईएस आधारित मास्टर प्लान नहीं तैयार हो पा रहा है।
जीआईएस आधारित मास्टर प्लान तैयार कराने की कवायद तीन वर्षों से चल रही है। लेकिन इसके लिए निजी कंपनी के साथ सितंबर 2019 में आधिकारिक तौर पर करार हुआ। इसके लिए लखनऊ के 307 गांव के सजरा प्लान की जरूरत थी। मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग निजी कंपनी के मदद से इसे तैयार करा रहा है। एलडीए ने मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग को 307 में से 288 गांव के नक्शे उपलब्ध करा दिए हैं। लेकिन 19 गांव का कोई नक्शा ही नहीं मिल पा रहा है। अब 2 साल से इसकी ढूढाई हो रही है। लेकिन न प्राधिकरण में मिल रहे हैं और न तहसील में। जिसकी वजह से जीआईएस आधारित मास्टर प्लान का काम फंसा हुआ है।
21 अगस्त को एलडीए उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी ने इस मामले की समीक्षा बैठक की। जिसमें अधिकारियों ने उन्हें भी 19 गांव के सजरा नक्शे न होने की जानकारी दी। हालांकि उपाध्यक्ष ने जिला प्रशासन से समन्वय बनाकर नक्शा मंगवाने को कहा। इसका काम निजी कंपनी वीके सुप्रीम कर रही है। वीके सुप्रीम ने भी वीसी को बताया है कि जब तक उसे इन गांव के नक्शे नहीं मिल जाएंगे तब तक काम पूरा नहीं हो पाएगा। करीब दो वर्ष का वक्त बीत चुका है। एलडीए के मुख्य नगर नियोजक नितिन मित्तल ने कहा कि नक्शे खोजे जा रहे हैं। कहीं न कहीं से जरूर मिलेंगे।
40 गांव में बसी पूरी आबादी, खसरा मिलान में दिक्कत
एलडीए की सीमा में शामिल करीब 40 गांव में पिछले 10 वर्षों में ही आबादी बस गई है। इसकी वजह से यहां भी दिक्कतें आ रहे हैं। खसरे के हिसाब से जीआईएस आधारित मास्टर प्लान नहीं बन पा रहा है। क्योंकि यहां खसरे आपस में मिलाने के पॉइंट नहीं मिल पा रहे हैं।
जीआईएस आधारित मास्टर प्लान से मिलेंगी ये सुविधाएं
शहर के किसी भी हिस्से में जमीन के भू उपयोग आसानी से घर बैठे पता किया जा सकेगा
अभी मकान, दुकान, प्रतिष्ठान, पार्क, होटल रेस्टोरेंट शादी बारात घर के लिए जमीन खरीदने वालों को भू उपयोग पता करने के लिए एलडीए जाना पड़ता है
इसे पता करने के लिए लोगों को काफी परेशान होना पड़ता है। लेकिन जीआईएस सुविधा शुरू होने के बाद लोग घर बैठे एक क्लिक में जानकारी कर सकेंगे
इससे अवैध निर्माणों पर भी अंकुश लगेगा
आसानी से भूउपयोग की जानकारी होने से लोग ग्रीन बेल्ट व अन्य ऐसी जगहों पर जमीन नहीं लेंगे जहां निर्माण प्रतिबंधित रहेगा
अत्यधिक संख्या में लोग नक्शे भी पास कराएंगे। जिससे प्राधिकरण की आय भी बढ़ेगी
लोग प्रॉपर्टी डीलरों तथा भूमाफिया की ठगी के शिकार से भी बच सकेंगे।
गांव का सजरा प्लान होने की वजह से लोगों को यह जानकारी मिल जाएगी कि जो जमीन वह खरीद रहे हैं वह उसी जगह है या नहीं। इससे ठगी रुकेगी।
ये हैं 19 गांव जिनके नक्शे नहीं मिल रहे हैं
दसदोई, जलियमऊ, बहरू, पहिया आजमपुरा, करीमाबाद महतवा, रसूलपुर, इथुरिया, चिलौली, रैथा, कोडियामऊ, पेकरा मऊ, बरमदी मगठ, सैदपुर जागीर, गोयला, भाखा मऊ, मोहरी खुर्द, बरौली खलीलाबाद, मदारपुर, डेखवा।