नवाब मलिक को अवमानना का एक और नोटिस, समीर वानखेड़े पर की थी टिप्पणी

बॉम्बे हाई कोर्ट ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) मुंबई के पूर्व जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े के पिता ज्ञानदेव वानखेड़े की अवमानना की याचिका पर मंगलवार को महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक को कारण बताओ नोटिस जारी किया। ज्ञानदेव ने अपनी याचिका में दावा किया कि पिछले साल दिसंबर में मलिक ने अदालत में हलफनामा दिया था कि वह उनके परिवार के खिलाफ सोशल मीडिया और सार्वजनिक तौर पर मानहानिकारक बयान नहीं देंगे लेकिन मलिक लगातार ऐसा कर रहे हैं।

पिछले साल अक्टूबर में समीर वानखेड़े की अगुवाई में एक क्रूज जहाज पर हुई छापेमारी के दौरान ड्रग्स जब्त करने का दावा किया गया था और इस मामले में बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान समेत कई आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए थे। इसके चलते ज्ञानदेव ने अदालत का रुख किया था।

मंगलवार को उन बयानों को पेश किया जोकि मलिक की ओर से पिछले साल 28 दिसंबर और इस साल 2 और 3 जनवरी को अलग-अलग प्रेस कॉन्फ्रेंस पर दिए गए थे। सर्राफ ने जस्टिस एस जे कथावाला और जस्टिस नितिन जाधव की पीठ से कहा कि मलिक ने समीर वानखेड़े के कथित अवैध जाति प्रमाणपत्र और एनसीबी अधिकारियों द्वारा फिल्मी कलाकारों से अवैध उगाही जैसे आरोप लगाए गए।

मलिक की ओर से पेश वकील कार्ल तंबोली ने कोर्ट से कहा कि उनके मुवक्किल ने सर्राफ द्वारा उल्लेख की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में समीर वानखेड़े का नाम नहीं लिया। अदालत ने सवाल किया कि एनसीपी के नेता क्यों लगातार समार वानखेड़े की जाति प्रमाण अवैध होने के बारे में बात कर रहे हैं जबकि जांच समिति को इस पर अभी निर्णय लेना है।

पीठ ने कहा, ‘आप क्या करने का प्रयास कर रहे हैं? क्या ऐसा कोई निर्णय है कि जाति प्रमाण पत्र अवैध है या नहीं? अगर नहीं, तो फिर वह (मलिक) कैसे कह सकते हैं कि यह फर्जी है?’ अदालत ने मलिक को कारण बताओ नोटिस का जवाब 21 फरवरी तक देने का निर्देश दिया है जब ज्ञानदेव वानखेड़े की अवमानना अर्जी पर आगे सुनवाई होगी।