दिल्ली में भी उठी NRC की मांग, मनोज तिवारी ने कहा- घुसपैठियों को बाहर करे सरकार

नई दिल्ली। गैर भारतीय प्रवासियों का मुद्दा अभी भले ही असम में उठा हो, लेकिन दिल्ली-एनसीआर में भी अवैध रूप से रह रहे गैर भारतीय प्रवासी एक गंभीर समस्या हैं। दिल्ली-एनसीआर में लाखों की तादात में अवैध रूप से बांग्लादेशी व रोहिंग्या मुस्लिम रह रहे हैं, जो भारतीय अर्थव्यवस्था बिगाड़ने के मकसद से नकली नोटों के कारोबार से लेकर ड्रग्स तस्करी व सभी तरह की आपराधिक घटनाओं को अंजाम देते हैं। अब भाजपा ने भी दिल्ली में अवैध रूप से रह रहे अवैध बांग्लादेशी व रोहिंग्या के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

घुसपैठियों को बाहर करने की मांग 
दिल्ली में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने दिल्ली सरकार से राष्ट्रीय राजधानी में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों की पहचान कर उन्हें बाहर करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यहां अवैध रूप से रहने वाले लोग गरीबों को उनके अधिकारों से वंचित कर रहे हैं। तिवारी ने पत्रकारों को बताया कि उन्होंने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चिट्ठी लिखी है।

गृहमंत्री राजनाथ सिंह को लिखा पत्र
भाजपा नेता ने कहा राजधानी में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों को लेकर उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर मांग की है कि अब दिल्ली में बसे अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने का काम सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाना चाहिए। मंगलवार को दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने लोकसभा में शून्य काल के दौरान एक नोटिस दिया था जिसमें उन्होंने कहा है कि दिल्ली में भी असम जैसी एनआरसी की प्रक्रिया शुरू की जाए।

भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने यह मांग ऐसे समय में की है जब असम सरकार ने बीते 30 जुलाई को राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) का मसौदा प्रकाशित किया। कुल 3.29 आवेदकों में से 2.9 करोड़ आवेदकों को एनआरसी के मसौदे में जगह दी गई है जबकि 40 लाख से ज्यादा लोगों के नाम इसमें शामिल नहीं किए गए हैं।

घुसपैठियों ने जमा ली हैं अपनी जड़ें 
बता दें कि दिल्ली में रहने वाले घुसपैठियों ने यहां अपनी जड़ें जमा ली हैं। ये लोग न केवल सरकारी सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं बल्कि दिल्ली-एनसीआर में मुस्लिम परिवारों में अपने बच्चों की शादियां भी कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक दिल्ली में 685 झुग्गी क्लस्टर (बस्ती) हैं, जिनमें करीब तीन लाख झुग्गियां हैं। सभी बस्तियों में आधे से अधिक बांग्लादेशी रहते हैं। अति सुरक्षित इलाके नई दिल्ली हो अथवा पॉश इलाका दक्षिण जिला। इन जगहों पर भी हजारों की संख्या में शरणार्थी अवैध रूप से रह रहे हैं।

सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं घुसपैठिये
कई साल पूर्व इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (आईडीएसए) की रिपोर्ट में बताया गया था कि देश में दो करोड़ से अधिक बांग्लादेशी भारत में अवैध तरीके से रह रहे हैं। अकेले दिल्ली में लाखों की संख्या में बांग्लादेशी रहते हैं। हत्या, लूट, डकैती एवं चोरी जैसी वारदात से अपराध का ग्राफ बढ़ाने में लगे ये बांग्लादेशी सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा साबित हो रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियां हमेशा से घुसपैठियों के आईएसआई के साथ संबंध होने को लेकर चिंतित रहती हैं।

वोट बैंक के चक्कर में संरक्षण
एक आंकड़े के अनुसार दिल्ली में चार लाख से अधिक बांग्लादेशी अवैध रूप से रह रहे हैं। दस लाख से अधिक बांग्लादेशी यहां के नागरिक बन चुके हैं। घुसपैठिये न सिर्फ अर्थव्यवस्था बल्कि यहां के सामाजिक ताने-बाने को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। पुलिस का मानना है कि आईएसआई के इशारे पर बांग्लादेश सीमा के रास्ते बड़े पैमाने पर घुसपैठ होती है। दिल्ली आ जाने पर राजनीतिक पार्टियां उन्हें वोट बैंक के चक्कर में संरक्षण देती हैं। उनके दिल्ली के मतदाता कार्ड व राशन कार्ड बनवा देते हैं।

नकली मुद्रा व ड्रग्स तस्करी में शामिल 
खास बात यह है कि बांग्लादेश से आए कुछ लोग अपने साथ नकली मुद्रा भी ले आते हैं। अक्सर ऐसे मामले पकड़े जाते हैं जिसमें पश्चिम बंगाल से नकली नोट दिल्ली लाए गए हैं। यहां आकर पुरुष वर्ग जहां चोरी, लूट आदि काम करता है वहीं उनकी महिलाएं तथा बच्चे ड्रग्स तस्करी का काम करते हैं। इस काम को ये लोग कच्ची कॉलोनी या झुग्गी बस्ती में रहकर अंजाम देते हैं।

हवाला के जरिए भेजते हैं लूट का माल
दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक बांग्लादेशी अपराधियों से पूछताछ में पता चला था कि लूट का माल खपाने के लिए ये लोग हवाला एजेंटों की मदद लेते हैं। बड़ा हाथ लगने पर गिरोह का एक सदस्य तत्काल माल को लेकर राजधानी व एक्सप्रेस सरीखे ट्रेनों से कोलकाता के लिए निकल पड़ता है। वहां मौजूद हवाला एजेंटों की मदद से माल की कीमत बांग्लादेश में बैठे उनके परिजनों तक पहुंच जाती है। यही वजह है कि पकड़े जाने पर बांग्लादेशी अपराधियों से लूट या चोरी का ज्यादा माल बरामद नहीं हो पाता है।

पुलिस ने की थी पहल
2003 में तत्कालीन पुलिस आयुक्त अजय राज शर्मा ने दिल्ली पुलिस के हर जिले के डीसीपी कार्यालय में ही एक-एक बांग्लादेशी सेल का गठन करवा दिया था। वह पहले ऐसे गैर यूटी कैडर के आइपीएस थे जो दिल्ली पुलिस के मुखिया बनाए गए थे। बांग्लादेशी सेल झुग्गियों में जाकर मुखबिरों से पता लगाकर उनकी धर पकड़ करते थे और विदेशी नागरिक पंजीकरण कार्यालय में पेश करने के बाद उन्हें वापस बांग्लादेश भेज देते थे। उस दौरान एक साल में करीब 50 हजार बांग्लादेशियों को वापस बांग्लादेश भेजा गया था।