गोरखपुर छोड़कर क्यों जाएंगे सीएम योगी, हर जुबान पर हो रही बस यही चर्चा

मुख्यमंत्री व गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ के अयोध्या से चुनाव लड़ने की चर्चा के बीच गोरखपुरवासी आगे आए हैं। उनका कहना है कि योगी के गोरखपुर छोड़ने से पूर्वांचल में भाजपा को नुकसान होगा। यहां किसी भी सीट से लड़े तो आसानी से चुनाव जीत जाएंगे। प्रचार-प्रसार का उनका अपना तंत्र है। भाजपा के साथ ही हिंदू युवा वाहिनी (हिंयुवा) का मजबूत संगठन है। हर विधानसभा क्षेत्र में अपनी टीम है। एक शहरवासी ने यहां तक कह दिया कि गोरक्षपीठाधीश्वर को गोरखपुर की राजनीति से दूर करने की साजिश की जा रही है। गोरक्षपीठ का अपना महत्व है। जनता गोरक्षपीठाधीश्वर को मान, सम्मान देती है। यह सब अयोध्या में नहीं मिल पाएगा। वहां जाकर चुनाव प्रचार करना होगा। गोरखपुर मेयर सीताराम जायसवाल ने कहा कि पूर्वांचलवासी मंहत योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री नहीं, गोरक्षपीठाधीश्वर मानते हैं। शीर्ष नेतृत्व को गोरखपुर की किसी भी सीट से चुनाव लड़ाना चाहिए। इसका फायदा विधानसभा चुनावों में मिलेगा। महंत योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर छोड़ने का गलत संदेश जाएगा। पूर्वांचल में नुकसान भी संभव है। गोरखपुरवासी गोरक्षपीठाधीश्वर को अपना मानते हैं। उन्हें छोड़ने को तैयार नहीं हैं। यह बात उचित फोरम पर रखी जाएगी। राम की नगरी अयोध्या हम सबकी है। पांच वर्षों के कार्यकाल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार अयोध्या गए हैं। यह सिलसिला आगे भी नहीं रुकेगा, लेकिन गोरखपुर छोड़ने का फैसला उचित नहीं रहेगा। प्रांतीय होम्योपैथी चिकित्सा सेवा संघ के पूर्व अध्यक्ष ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर जिले की ही किसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहिए। गोरखपुर के विकास को नई ऊंचाइयां मिली हैं। योगी चुनाव लड़ें और हम वोट करें, यही इच्छा है। अयोध्या या फिर मथुरा से चुनाव लड़ने का फायदा गोरखपुरवासियों को नहीं मिलेगा। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को अपने प्रस्ताव पर नए सिरे से विचार करना चाहिए। इसमें गोरखपुरवासियों के साथ ही भाजपा की भी भलाई है। समाजसेवी आदिल अमीन ने कहा कि गोरखपुर का जितना विकास पांच वर्षों में हुआ है, उतना कभी नहीं हुआ था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को छोड़ने के लिए जिले की जनता बिल्कुल तैयार नहीं है। जिले की किसी भी सीट से चुनाव लड़ें, लेकिन यहीं रहें। दूसरी जगह जाकर चुनाव लड़ने की जरूरत नहीं है। अगर ऐसा हुआ तो जनता की नाराजगी बढ़ेगी। गोरखपुर सहित आसपास के जिलों में भाजपा को नुकसान उठाना पड़ेगा। शीर्ष नेतृत्व ने गोरक्षपीठाधीश्वर को चुनाव लड़ाने का जो खाका तैयार किया, उसमें बदलाव जरूरी है। गोरक्षपीठाधीश्वर हमको छोड़कर जा रहे हैं, यह संदेश नहीं जाना चाहिए।