
अवैध तरीके से 62 लोगों को स्टाफ नर्स ए ग्रेड पद पर नियुक्त करते हुए उन्हें बिहार के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में तैनाती भी करा दी। जब स्वास्थ्य विभाग के संज्ञान में ये मामला आया तो फर्जी नियुक्ति के जरिये अस्पतालों में पदस्थापित नर्सों की तलाश में विभाग जुट गया है।
बिहार के निदेशक प्रमुख डॉ. महेश्वर प्रसाद गुप्ता ने 24 फरवरी को जारी अपने आदेश पत्र में कहा है कि असामाजिक तत्वों द्वारा निदेशालय आदेश ज्ञापांक 122(6) दिनांक 18 फरवरी 2022 से 62 स्टाफ नर्स ग्रेड ए का फर्जी नियुक्ति/पदस्थापन आदेश निर्गत करते हुए उन्हें विभिन्न चिकित्सा संस्थानों में पदास्थापित किया गया है, जो कि बिल्कुल फर्जी एवं निराधार है।
डॉ. गुप्ता ने बिहार के सभी सिविल सर्जन को जारी इस पत्र के जरिये निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने जिलों में इस दौरान फर्जी बहाल हुई नर्सों की तलाश करें। अगर वे पायी जाती हैं तो उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करें। गौरतलब है कि करीब एक साल पहले मधुबनी जिले में सात नर्सों की तैनाती को रद्द कर दिया गया था, लेकिन इन नर्सों की नियुक्ति की प्रक्रिया फर्जी नहीं थी, बल्कि नियुक्ति पाने वाली नर्सों का रजिस्ट्रेशन फर्जी पाया गया था।
एक साल पहले बिहार तकनीकी सेवा आयोग पटना द्वारा मधुबनी जिले में 278 स्टाफ नर्स ग्रेड ए की नियुक्ति हुई थी। इनमें से सात नर्सों का निबंधन फर्जी पाया गया तो तत्कालीन नर्सिंग निदेशक प्रमुख डॉ. नवीन चंद्र प्रसाद के आदेश पर इनकी नियुक्ति रद्द कर दी गयी थी।
डॉ. उमेश शर्मा ने कहा कि उन्हें इस आशय का आदेश पत्र मिल चुका है। 18 फरवरी 2022 के बाद जिले में हुई नर्सों की तैनाती से जुड़े कागजात को खंगाला जा रहा है, लेकिन अब तक इस दौरान किसी नर्स द्वारा योगदान दिये जाने का मामला प्रकाश में नहीं आया है।
डॉ. महेश्वर प्रसाद गुप्ता ने कहा, ‘पत्र जारी करने के दिन ही सचिवालय पटना थाना में 62 फर्जी तरीके से नियुक्त हुए नर्सों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा दिया गया है। साथ ही सभी जिलों के सिविल सर्जन को 62 नर्सों का नाम-पता संबंधित सूची सौंप दी गई है। पता चलते ही उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।’