आगरा में आसान नहीं डगर पनघट की, दलित बहुल ग्रामीण विधान सभा क्षेत्र में मुश्किलों से पार पाना होगा

दलित बहुल ग्रामीण विधान सभा क्षेत्र को आगरा की हंसली (गले का हार) भी कहा जाता है। शहरी सीमा से सटे गांव इसमें शामिल हैं। 2012 में अस्तित्व में आई इस सीट पर 2017 में भाजपा की हेमलता दिवाकर ने मोदी लहर में बसपा के कालीचरन सुमन को 65,296 मतों के अंतर से हराया था। 

बसपा ने यहां किरन प्रभा केसरी को उतारा है, तो सपा-रालोद गठबंधन ने महेश जाटव को। कांग्रेस ने यहां पुराने चेहरे उपेंद्र सिंह को टिकट दिया है। वे यहां से पहले भी दो बार चुनाव लड़ चुके हैं। बेबीरानी मौर्य भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। इस सीट की आबादी में सबसे ज्यादा सवा लाख दलित मतदाता हैं। एक लाख से अधिक मुस्लिम, यादव, कुशवाह मतदाता भी हैं। सुरक्षित सीट होने से यहां सभी उम्मीदवार दलित हैं। ऐसे में बहुतायत दलित किधर रुख करते हैं.