
नई दिल्ली: विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बुधवार को स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ फोन पर हुई बातचीत में दो टूक शब्दों में कहा है कि “भारत ने कभी भी किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया है, और न ही भविष्य में करेगा।”
यह बयान हाल ही में पाकिस्तान में हुए भारत के आतंकवाद विरोधी सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संदर्भ में आया है। विदेश सचिव ने कहा कि इस विषय पर देश में “पूर्ण राजनीतिक एकता” है।
विक्रम मिस्री ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप को स्पष्ट रूप से बताया कि भारत कभी भी मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करता — न पहले किया, न अब करता है, और न कभी करेगा।”
पांच प्रमुख बातें जो पीएम मोदी ने ट्रंप से 35 मिनट की बातचीत में कहीं:
- ऑपरेशन सिंदूर पर विस्तृत चर्चा: प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप को बताया कि ऑपरेशन सिंदूर आतंकवाद के खिलाफ भारत की कड़ी प्रतिक्रिया थी, जो हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद किया गया। इस हमले में 26 नागरिकों की जान गई थी।
- आतंकवाद अब युद्ध है, प्रॉक्सी वॉर नहीं: मोदी ने कहा कि भारत अब आतंकवाद को एक “वास्तविक युद्ध” मानता है, न कि केवल एक प्रॉक्सी वॉर। उन्होंने साफ किया कि ऑपरेशन सिंदूर अभी समाप्त नहीं हुआ है।
- मध्यस्थता की बात खारिज: प्रधानमंत्री ने ट्रंप को बताया कि भारत और अमेरिका के बीच न तो व्यापार समझौते को लेकर चर्चा हुई, और न ही अमेरिका द्वारा भारत-पाकिस्तान के बीच किसी तरह की मध्यस्थता की बात आई। सभी सैन्य चर्चाएं भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच मौजूद चैनलों के माध्यम से हुईं, और पाकिस्तान के अनुरोध पर हुईं।
- भारत-पाक बातचीत सीधे सैन्य चैनलों से: मिस्री ने स्पष्ट किया कि किसी तीसरे देश की भूमिका नहीं रही। भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य कार्रवाई रोकने को लेकर सभी बातचीत दोनों देशों की सेनाओं के मौजूदा चैनलों के जरिए हुई थी।
- PM मोदी ने ट्रंप की US आमंत्रण को अस्वीकार किया: ट्रंप ने पीएम मोदी से कनाडा से लौटते समय अमेरिका रुकने का अनुरोध किया था, लेकिन पीएम मोदी ने पहले से तय कार्यक्रमों के चलते असमर्थता जताई।
ट्रंप, जो अक्सर भारत-पाक संबंधों में मध्यस्थता का दावा करते रहे हैं, ने भी फोन पर पहलगाम आतंकी हमले पर शोक जताया और मृतकों के प्रति संवेदना प्रकट की।
प्रधानमंत्री मोदी के इस स्पष्ट रुख के बाद भारत की विदेश नीति को लेकर वैश्विक मंच पर एक बार फिर यह संदेश गया है कि भारत आतंकवाद पर किसी तरह की ढील नहीं देगा और अपनी संप्रभुता के मामलों में किसी तीसरे पक्ष को हस्तक्षेप की अनुमति नहीं देगा।