
नई दिल्ली: अब घरों के पते भी होंगे डिजिटल और यूनिक – कुछ उसी तरह जैसे हर नागरिक के लिए आधार कार्ड है। केंद्र सरकार जल्द ही एक नया डिजिटल एड्रेस सिस्टम शुरू करने जा रही है, जिसके तहत हर घर को एक यूनिक DIGIPIN मिलेगा। यह एक 10-अक्षरों वाला अल्फान्यूमेरिक कोड होगा जो GPS लोकेशन पर आधारित होगा।
सरकार की इस नई पहल का उद्देश्य है – अस्पष्ट या गलत पतों को खत्म करना, डिलीवरी सिस्टम को ज्यादा कुशल बनाना और उपयोगकर्ताओं की प्राइवेसी की सुरक्षा करना। यह सिस्टम, व्यक्तिगत आधार की तरह, हर पते को एक विशिष्ट पहचान देगा ताकि घरों और स्थानों को तेजी और सटीकता से पहचाना जा सके।
डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर में जुड़ेगा पता
यह पूरा प्रोजेक्ट भारत के डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI) का हिस्सा होगा। फिलहाल देश में पता दर्ज करने और उसका प्रबंधन करने का कोई मानकीकृत तरीका नहीं है, जिससे गलतियों और दुरुपयोग की संभावना बनी रहती है। इसके चलते निजी कंपनियां बिना सहमति के पते जैसी संवेदनशील जानकारियों को एकत्र कर लेती हैं। लेकिन इस नए सिस्टम में पता सिर्फ उसी स्थिति में साझा किया जाएगा, जब उपयोगकर्ता स्वयं इसकी अनुमति देगा।
ई-कॉमर्स और डिलीवरी सेक्टर को मिलेगी बड़ी राहत
ई-कॉमर्स, लॉजिस्टिक्स और ऐप-बेस्ड सेवाओं के तेजी से बढ़ते दायरे के चलते अब सटीक और मानकीकृत पतों की भारी जरूरत महसूस की जा रही है। वर्तमान में देश में अधिकतर पते अस्पष्ट होते हैं या नज़दीकी लैंडमार्क पर आधारित होते हैं। इससे डिलीवरी में देरी, गलत पते और अन्य लॉजिस्टिक दिक्कतों से हर साल देश को करीब $10–14 अरब (करीब 0.5% GDP) का नुकसान होता है।
क्या है DIGIPIN और कैसे काम करेगा?
DIGIPIN यानी Digital Postal Index Number एक 10 कैरेक्टर का यूनिक कोड होगा जो किसी भी घर या स्थान के सटीक जियो-लोकेशन पर आधारित होगा। यह पारंपरिक PIN कोड की तुलना में कहीं अधिक सटीक होगा, जो सामान्यत: पूरे क्षेत्र को कवर करता है। DIGIPIN व्यक्तिगत मकानों, दुकानों, या अन्य स्थानों को अलग-अलग चिन्हित करेगा – खासकर ग्रामीण इलाकों, झुग्गियों और दुर्गम क्षेत्रों में, जहां पारंपरिक एड्रेस सिस्टम असफल होते हैं।
नीति का मसौदा जल्द जारी होगा
इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व डाक विभाग कर रहा है और इसे प्रधानमंत्री कार्यालय की सीधी निगरानी में तैयार किया जा रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, नीति का ड्राफ्ट कुछ ही दिनों में सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया जाएगा और वर्ष के अंत तक इसका अंतिम क्रियान्वयन हो सकता है। सर्दियों के संसद सत्र में इससे जुड़ा विधेयक भी पेश किया जा सकता है, जिससे इस पूरे ढांचे के लिए एक आधिकारिक प्राधिकरण की स्थापना की जा सके।
अगर यह योजना सफल रही, तो डिजिटल एड्रेस सिस्टम भी आधार और UPI की तरह एक मूलभूत तकनीकी ढांचा बन सकता है – जो पहचान सत्यापन से लेकर अंतिम छोर तक डिलीवरी में क्रांति ला सकता है।