
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवद् गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को यूनेस्को की ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर’ में शामिल किए जाने को भारत की सनातन ज्ञान परंपरा और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की वैश्विक स्वीकृति बताया है।
यूनेस्को द्वारा घोषित इस सूची में भगवद् गीता और नाट्यशास्त्र की पांडुलिपियों को शामिल किया गया है, जो भारतीय संस्कृति की गहन विरासत को वैश्विक मान्यता दिलाने वाला ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,
“हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण! भगवद् गीता और नाट्यशास्त्र को यूनेस्को की ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर’ में शामिल किया जाना हमारी कालातीत बुद्धिमत्ता और सांस्कृतिक समृद्धि की वैश्विक मान्यता है। गीता और नाट्यशास्त्र ने सदियों से सभ्यता और चेतना को पोषित किया है। इनकी शिक्षाएं आज भी दुनिया को प्रेरित करती हैं।”
यूनेस्को ने इस वर्ष अपनी सूची में 74 नई डॉक्यूमेंट्री धरोहरों को जोड़ा है, जिससे अब इस अंतरराष्ट्रीय रजिस्टर में कुल 570 संग्रह शामिल हो गए हैं। नाट्यशास्त्र को प्रदर्शन कलाओं पर लिखा गया एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है।
संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर की। उन्होंने ग्रंथों की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा,
“भारत की सभ्यतागत धरोहर के लिए ऐतिहासिक क्षण! श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि का नाट्यशास्त्र अब यूनेस्को की ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर’ में अंकित हो गए हैं। यह वैश्विक सम्मान भारत की सनातन ज्ञान परंपरा और कलात्मक प्रतिभा का उत्सव है।”
उन्होंने आगे कहा,
“ये अमर कृतियाँ केवल साहित्यिक धरोहर नहीं हैं, बल्कि वे भारत के दार्शनिक और सौंदर्यबोध की नींव हैं, जिन्होंने हमारे सोचने, महसूस करने, जीने और अभिव्यक्ति के तरीकों को आकार दिया है। इस नई उपलब्धि के साथ अब भारत की कुल 14 धरोहरें इस अंतरराष्ट्रीय सूची में शामिल हो चुकी हैं।”