
पिछले कुछ हफ्तों में अमेरिका ने अपने इमिग्रेशन नियमों को सख्त कर दिया है, जिससे भारतीय ग्रीन कार्ड और H-1B वीजा धारकों के लिए यात्रा को लेकर कानूनी सलाहकारों ने सतर्कता बरतने की चेतावनी जारी की है।
हाल ही में अमेरिका के उपराष्ट्रपति जे.डी. वांस ने कहा, “ग्रीन कार्ड किसी व्यक्ति को अमेरिका में अनिश्चितकाल तक रहने का अधिकार नहीं देता।” इस बयान ने भारतीय मूल के लाखों अप्रवासियों के बीच चिंता और तनाव बढ़ा दिया है।
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा अवैध और कानूनी दोनों तरह के अप्रवासियों पर कड़ी कार्रवाई के चलते, अमेरिका की प्रमुख इमिग्रेशन एजेंसियों ने विदेश यात्रा करने वालों पर सख्त निगरानी शुरू कर दी है। खासतौर पर जो लोग अमेरिका से लौट रहे हैं, उन पर और भी कड़े चेक लगाए जा रहे हैं।
अमेरिका में प्रवासियों पर नजर रखने वाली प्रमुख एजेंसियां हैं:
- यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS)
- इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (ICE)
- डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS)
- कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन (CBP)
अमेरिका में रह रहे, काम कर रहे या पढ़ाई कर रहे लाखों भारतीयों के पास ग्रीन कार्ड, H-1B, या F-1 वीजा है। अब इन्हें अमेरिका लौटते समय एंट्री पॉइंट पर सख्त जांच का सामना करना पड़ सकता है। स्थायी निवासियों और कानूनी वीजा धारकों को अपने वर्क स्टेटस या निवास की वैधता को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है, लेकिन इन बढ़ी हुई जांच प्रक्रियाओं से धैर्य की परीक्षा जरूर होगी।
क्यों बढ़ी जांच?
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में 43 देशों के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की योजना का ऐलान किया है। भारत के पड़ोसी देशों में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और भूटान इस सूची में शामिल हैं। हालांकि भारतीय नागरिक, जो कानून का पालन करते हैं और कर चुकाते हैं, उन्हें किसी यात्रा प्रतिबंध सूची में शामिल नहीं किया गया है। फिर भी, इमिग्रेशन विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि अमेरिका से बाहर यात्रा करने से पहले अतिरिक्त सावधानी बरतें।
बढ़ी हुई जांचों के कारण वीजा स्टैम्पिंग में भारी देरी देखी जा रही है। हिरासत में लिए जाने वालों की संख्या भी हाल के हफ्तों में काफी बढ़ गई है। न केवल एंट्री पॉइंट्स पर, बल्कि दुनियाभर में अमेरिकी दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों में भी प्रशासनिक अड़चनें आ रही हैं, जिससे दस्तावेजों की समीक्षा में देरी हो रही है।
यात्रा से पहले ध्यान रखने वाली बातें:
कानूनी विशेषज्ञों ने ग्रीन कार्ड धारकों (स्थायी निवासियों), H-1B (विशेषज्ञ पेशेवरों), और F-1 (विद्यार्थियों) वीजा धारकों को यात्रा योजनाओं के दौरान निम्नलिखित दस्तावेज तैयार रखने की सलाह दी है:
- अपने देश का वैध पासपोर्ट
- ग्रीन कार्ड (फॉर्म I-551) – जो एक्सपायर्ड न हो
- वैध और गैर-समाप्त H-1B या F-1 वीजा, जो अमेरिका में बहु-प्रवेश की अनुमति देता हो
- यूएस री-एंट्री परमिट (जहां लागू हो) – यदि आप 1 साल से ज्यादा, लेकिन 2 साल से कम समय के लिए अमेरिका से बाहर जा रहे हैं
- रोजगार सत्यापन पत्र
- पिछले वर्ष का W-2 फॉर्म और आयकर भुगतान प्रमाण
- हाल के 3 महीनों की वेतन पर्ची या वैध आय प्रमाण
- कॉलेज या विश्वविद्यालय से पढ़ाई की अवधि का प्रमाण पत्र
- अमेरिका में बैंक खाते के वैध दस्तावेज (कम से कम एक प्रमुख खाता)
- वैध अमेरिकी ड्राइविंग लाइसेंस
विशेषज्ञों द्वारा दी गई अतिरिक्त सलाह:
- जो लोग विदेश में लंबे समय तक रहने के बाद लौट रहे हैं, उन्हें कस्टम्स और बॉर्डर अधिकारियों के साथ विस्तृत प्रश्नोत्तर के लिए तैयार रहना चाहिए।
- प्रक्रिया के दौरान शांत और सहयोगी बने रहें।
- सेकंडरी इंस्पेक्शन में दो घंटे से अधिक समय लग सकता है।
- छह महीने से ज्यादा अमेरिका से बाहर रहने वालों को अतिरिक्त जांच का सामना करना पड़ सकता है।
- अपने ग्रीन कार्ड या वीजा को एक्सपायर न होने दें। समय से पहले नवीनीकरण करा लें।
- यदि ग्रीन कार्ड रद्द हो जाता है, तो USCIS या इमिग्रेशन कोर्ट में अपील दायर करने का विकल्प मौजूद है।
- जो छात्र F-1 वीजा पर पढ़ाई पूरी कर चुके हैं और H-1B या अन्य वर्क वीजा पर स्विच कर चुके हैं, उन्हें भी सख्त जांच का सामना करना पड़ सकता है।
- जिनके H-1B वीजा की मियाद एक साल से ज्यादा पहले खत्म हो गई है और उन्होंने नवीनीकरण के लिए आवेदन किया है, उन्हें अतिरिक्त जांच झेलनी पड़ सकती है।
निष्कर्ष:
बदलते अमेरिकी इमिग्रेशन नियमों के कारण भारतीय ग्रीन कार्ड, H-1B, और F-1 वीजा धारकों के लिए यात्रा की जटिलताएं बढ़ गई हैं। इसलिए, यात्रा से पहले पूरी तैयारी और सतर्कता बेहद जरूरी हो गई है।