
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सपने को सकार करने के बजाय पुलिसकर्मी शराबबंदी से माल उगाही करने में लगे हैं। इसमें उत्पाद विभाग के अफसर और सिपाहियों की भूमिका कई बार उजागर हुई है। बिहार पुलिस की मद्य निषेध इकाई के पूर्व एसपी ने इस संबंध में एक पत्र जारी कर सरकार को बताया था कि उत्पाद विभाग के अधिकांश अधिकारी और सिपाही तस्करों से मिले हैं। उनकी संपत्ति की जांच होनी चाहिए। मगर सरकार ने एसपी का तबादला करने के साथ उनकी चिट्ठी को भी रद कर दिया। ताजा मामला रोहतास जिले का है, जहां पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। फर्जी छापेमारी कर शराब तस्कर से 59 हजार रुपये वसूली करते उत्पाद विभाग के चार सिपाहियों के अलावा एक लाइनर को बुधवार को पुलिस ने जेल भेज दिया। एसपी आशीष भारती के अनुसार जेल भेजे गए उत्पाद विभाग सिपाहियों में कविंद्र कुमार, शिवपूजन कुमार, राजीव कुमार, विभाग में प्रतिनियुक्त होमगार्ड जवान राजेश कुमार पाण्डेय शामिल हैं। जानकारी के अनुसार, चार सिपाहियों द्वारा योजना बनाकर दो दिन पहले शहर के गुरुद्वारा रोड स्थित विक्रम कुमार के घर में छापामारी की गई थी। छापेमारी के दौरान शराब मिली थी या नहीं इस बात का पता नहीं लगा था। छापेमारी के बाद चारों सिपाहियों द्वारा केस नहीं करने के लिए रुपए देने के लिए गृहस्वामी विक्रम पर डेढ़ लाख रुपए देने के लिए दबाव बना रहे थे। जिसमें से एक लाख रुपया ले लिया गया था। शेष रिश्वत पहुंचाने के लिए इस क्रम में कई बार सिपाहियों ने विक्रम को फोन भी किया। वहीं विक्रम लगातार उत्पाद विभाग के सिपाहियों के फोन को रिकॉर्ड कर रहा था। काफी दबाव होने के बाद उसने पूरी घटनाक्रम की जानकारी एसपी को दी थी। इसके बाद एसपी के रणनीति के अनुसार सभी चारों सिपाहियों को विक्रम ने शहर के बस्ती मोड़ पर बुलाया था, जहां एसपी ने पहले से सादे लिबास में पुलिसकर्मियों को तैनात कर रखा था। बताया जाता है कि एसपी ने गिरफ्तार सभी चारों सिपाहियों से पूछताछ भी की है। एसपी ने बताया कि दोषी सिपाहियों की बर्खास्तगी के लिए संबंधित विभाग को लिखा जाएगा। पुलिस की इस कार्रवाई से विभाग में हड़कंप सा मच गया है।