पटना: रिटायर्ड डीएसपी के बेटे ने पिता का फर्जी हस्ताक्षर कर ले लिया 28 लाख का लोन

इकलौते बेटे ने रिटायर्ड डीएसपी पिता रामसागर शर्मा का फर्जी हस्ताक्षर कर एक्सिस बैंक से 28 लाख 87 हजार रुपये लोन निकलवा लिये। इस मामले का पता लगने के बाद एसके पुरी थाने में पिता ने बेटे पारिजात मनु पर ही केस दर्ज करवाया है। लोन एक्सिस बैंक की बोरिंग रोड शाखा से दी गई है। पिता का कहना है कि उन्हें लोन के बारे में किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं है। लोन होते वक्त भी बैंक के किसी अधिकारी ने उनसे संपर्क नहीं किया। पीड़ित का आरोप है कि बैंक अफसरों की मिलीभगत से उनके बेटे को गलत तरीके से लोन दिया गया है। रिटायर्ड डीएसपी बुद्धा कॉलोनी थाना इलाके के हॉस्पिटो इंडिया लेन में स्थित रामरतन निवास में रहते हैं। दूसरी ओर अब तक आरोपित बेटा फरार है। पुलिस के मुताबिक अब तक वह सामने नहीं आया है।

अगस्त वर्ष 2020 में ही हुआ था लोन

पिता का फर्जी हस्ताक्षर कर बेटे ने बीते वर्ष 2020 के 25 अगस्त को ही लोन निकलवा लिया था। एसके पुरी थानेदार समीश सिंह के मुताबिक पुलिस कॉलोनी कुरकुरी में जमीन के नाम पर लोन लिया गया है। रिटायर्ड डीएसपी की ब्रह्मपुरा में चार कट्ठे की जमीन है। पुलिस के मुताबिक रिटायर्ड डीएसपी का कहना है कि फिलहाल सारी संपत्ति उन्हीं के नाम पर है।

बैंककर्मी घर पहुचा तो हुआ खुलासा

दरअसल बीते 20 अगस्त को एक बैंक कर्मी रिटायर्ड डीएसपी के घर पहुंच गया। उस वक्त उनका बेटा पारिजात मनु वहां नहीं था। रिटायर्ड डीएसपी की मुलाकात बैंक कर्मी से हुई। उसी ने लोन लेने की बात उनको बताई। उन्हें यह पता चला कि संपत्ति को गिरवी रखकर लोन लिया गया है। कागजात के काम से ही बैंक कर्मी रिटायर्ड डीएसपी के पटना स्थित घर पहुंचा था। यह सब बात सुनकर रिटायर्ड डीएसपी दंग रह गये। इसके बाद उन्होंने एसके पुरी थाने में लिखित आवेदन दिया जिसके बाद बीते शनिवार को केस दर्ज किया गया।

कई बार दिया गया लोन

एसके पुरी थानेदार के मुताबिक पूरे पैसे रिटायर्ड डीएसपी के बेटे को तीन बार में दिये गये। पुलिस सोमवार को एक्सिस बैंक की बोरिंग रोड शाखा में जाकर वहां से इस लोन के बाबत पूरी डीटेल लेगी। किस अफसर ने लोन पास किया इस पहलू पर भी छानबीन की जायेगी।

उठ रहे सवाल

अगर डीएसपी के आरोप सही हैं तो आखिर बैंक ने बगैर उनका फीजीकल वेरीफिकेशन किये लोन कैसे पास कर दिया ?

जिसे लोन देना था उस व्यक्ति को बैंक ने देखा ही नहीं ?

क्या किसी बैंक अधिकारी कि मिलीभगत से ऐसा हुआ ?